हज यात्रा और ईद त्योहार पर कोरोना वायरस का असर, बकरीद पर कुबार्नी करना हुआ कठिन


दुबई। हज यात्रा और ईद-उल-अजहा (बकरीद) त्योहार पर इस वर्ष कोरोना वायरस का बहुत प्रभाव पड़ा है। सऊदी अरब में मक्का की वार्षिक हजयात्रा का समापन चार दिवसीय ईद अल-अजहा की चार दिन की छुट्टी के साथ होता है, जिसमें मुसलमान पशुओं की कुर्बानी देते हैं और गरीबों को मांस वितरित करते हैं। महामारी ने दुनियाभर के लाखों लोगों को गरीबी के कगार पर धकेल दिया है, जिससे कई लोगों के लिए कुबार्नी करना कठिन हो गया है। सोमालिया में मांस के दाम बढ़ गये है। मोगादिशु में एक कर्मचारी अब्दिशकुर दाहिर ने कहा कि काम पर वायरस के प्रभाव के कारण पहली बार है कि वह ईद के लिए बकरा नहीं खरीद पायेंगे। आइवरी कोस्ट में एक पशुओं के एक व्यापारी, ओउमार माईगा ने कहा, ‘‘कोरोना वायरस द्वारा स्थिति वास्तव में जटिल है, बाजार में स्थिति बहुत कठिन है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम उस स्थिति में हैं जो हमने अन्य वर्षों में कभी नहीं देखी है।’’

हज यात्रा पर भी वायरस का काफी प्रभाव पड़ा है। पिछले वर्ष 25 लाख तीर्थयात्रियों ने इसमें भाग लिया था लेकिन इस वर्ष केवल सऊदी अरब में रह रहे तकरीबन एक हजार लोगों को ही हज यात्रा की अनुमति दी गई। सऊदी स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि हज के दौरान कोविड-19 बीमारी का कोई मामला नहीं है। सरकार ने वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाये हैं। दुनियाभर में ईद के मौके पर मुस्लिम लोग रिश्तेदारों के साथ एकत्र होते हैं। कोसोवो और संयुक्त अरब अमीरात जैसे कुछ देशों में वायरस को फैलने से रोकने के लिए ईद की नमाज के लिए मस्जिदों को बंद किया गया है। इंडोनेशिया में लोगों को कड़े स्वास्थ्य दिशा-निर्देशों के साथ मस्जिदों में ईद की नमाज में शामिल होने की अनुमति दी गई है। लोगों को मास्क पहनना अनिवार्य होगा और उन्हें हाथ मिलाने या गले मिलने की अनुमति नहीं होगी।