(विशेष प्रतिनिधि)
वाराणसी(काशीवार्ता)। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बीमारी या यू कहे जुगाड़ गाड़ी ने बनारस में भी दस्तक दे दी है। शहर की सड़कों पर इन्हें बेखौफ होकर धड़ल्ले से दौड़ते देखा जा सकता है। न एक धेला रोड टैक्स न परमिट न चालान का डर। हैरत की बात यह है कि शहर के तिराहों-चौराहों पर खड़े ट्रैफिक के जवान न तो इन्हें रोकने की कोशिश करते हैं न ही इनका चालान। यही हाल परिवहन विभाग का है। महीनों से सड़क पर धमाचौकड़ी मचा रहे इन जुगाड़ गाड़ियों पर सख्ती की कोई कोशिश नहीं हो रही है। इससे न सिर्फ सरकार को रोड टैक्स का नुकसान उठाना पड़ रहा है, बल्कि दुर्घटनाओं का भी खतरा बरकरार रहता है। ऐसा इसलिए कि इन जुगाड़ गाड़ियों में न तो समुचित ब्रेक होता है और न ही आगे पीछे लाइट। शहर में तमाम गैस एजेंसियों में यह जुगाड़ गाड़ी धड़ल्ले से सिलेंडर ढो रही है। इसके अलावा अन्य बाजारों में भी इसे ट्रांसपोर्ट के साधन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। इन जुगाड़ गाड़ियों को तैयार करना बेहद आसान है। कबाड़ मार्केट से किसी बाइक या स्कूटर का पुराना इंजन लेकर उस पर पीछे ट्राली फिट कर दी जाती है। इसमें बमुश्किल 25-30 का खर्च आता है, जबकि किसी भी शोरूम में लाख-सवा लाख से नीचे कोई भी परिवहन वाहन उपलब्ध नहीं है। यह जुगाड़ गाड़ियां टैक्स की चोरी तो कर ही रही हैं साथ ही इनसे प्रदूषण भी फैल रहा है। इनके इंजन इतने पुराने वक्त घिस चुके होते हैं कि ये अपने पीछे भरपूर धुआं छोड़ते हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पंपिंग सेट का इंजन पर ट्रॉली फिट करके जुगाड़ गाड़ी बनाई जाती है। इस तरह की जुगाड़ गाड़ी पर टनों गन्ना लादकर चीनी मिलों तक ले जाया जाता है। इसी प्रकार दिल्ली में भी कुछ समय पूर्व तक तीन पहिया जुगाड़ गाड़ी धड़ल्ले से दौड़ती थी, लेकिन ट्रैफिक पुलिस की भृकुटि टेढ़ी हुई तो यह सड़कों से गायब हो गई। अब देखना है कि बनारस की सड़कों पर कब इस जुगाड़ पर सख्ती की जाती है।
जुगाड़ वाहनों के खिलाफ कार्रवाई शीघ्र: आरटीओ
शहर में धड़ल्ले से दौड़ रहे जुगाड़ वाहनों के खिलाफ परिवहन विभाग ने कार्रवाई का मूड बना लिया है। एआरटीओ प्रवर्तन यूबी सिंह ने काशीवार्ता को बताया कि पुराने इंजन पर ट्रॉली फिट करके चलाना पूर्णतया अवैध है। पकड़े जाने पर ऐसे जुगाड़ वाहनों को जब्त कर लिया जाएगा। ज्ञात हो कि दिल्ली समेत अन्य राज्यों में सख्ती के चलते ऐसे जुगाड़ वाहनों का परिचालन रुक गया है।