सब कुछ बदला, नहीं बदला तो काशी का जाम


वाराणसी(काशीवार्ता)। काशी अब ऐसे शहर में शुमार हो चुका है जहां पर्यटकों व श्रद्धालुओं की आमद रिकॉर्ड बना रही है। ऐसे में यहां व्यवस्थाओं का विस्तार भी तेजी से हो रहा है,रेलवे के विकास पर सैकड़ों करोड़ खर्च हो चुके है। हवाईअड्डा भी अंतरराष्ट्रीय हो चुका है, लेकिन सड़क मार्ग से चलने के लिए कोई ठोस प्लान आज तक नहीं बन सका, जिसके कारण आए दिन यहां जाम की स्थिति बनी रहती है। शहर को दो-तीन नए फ्लाइओवर भी मिले लेकिन उसकी बनावट व उसके तौर तरीके से कोई खास फायदा यहां के लोगों को नहीं मिल सका। शहर के लोग आज भी चौकाघाट व पाण्डेयपुर फ्लाईओवर की इंजीनियरिंग पर सवाल खड़ा करते हैं। दोनों फ्लाईओवर आज जाम से निजात की जगह जाम के लिए जिम्मेदार ज्यादा साबित हो रहे है।
13 दिसम्बर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों लोकार्पण के बाद से काशी विश्वनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या एक साल में 7 करोड़ से ऊपर पहुंच चुकी है। इस दौरान 100 करोड़ का दान भी मिला। पूरे देश मे काशी को लेकर एक उत्सुकता है, जिज्ञासा है। बाबा के दर्शन पाने को लेकर लोग यहां खिंचे चले आ रहे है। ऐसे में अगर उनको काशी में जाम की जलालत झेलनी पड़ी तो उनका अनुभव यहां से जाने के बाद कैसा होगा, यह सभी समझ सकते हैं। जाम को लेकर यहां कमिश्नरेट बनने के बाद कोई ठोस काम आज तक नहीं हुआ। जमीन पर कोई कार्ययोजना भी नही बनी। जैसे-तैसे शहर को उसके हालात पर छोड़ दिया गया। यहां के ट्रैफिक पुलिस के जवान जाम में भी अपने कर्तव्य के प्रति लापरवाह देखे जा सकते है। यह कहना गलत नही होगा कि अप्रशिक्षित जवान यातायात व्यवस्था का कबाड़ा बना दे रहे हंै। वन-वे का खुला उल्लंघन यहां के दोपहिया वाहन स्वामियों की नियति बन चुकी है, मजाल क्या कि कोई जवान उनको रोक कर समझाए और उनपर दण्ड लगाए। सड़कों पर अनावस्यक कट दुर्घटनाओं को दावत दे रहे हैं फिर भी इस पर ट्रैफिक पुलिस की निगाह नहीं है। अवैध स्टैंड, त्रिमुहानी व चौमुहानी आॅटो-रिक्शा व टोटो वालों के सबसे मुफीद फायदे की जगह हो चुकी है। भले ही वहां रोज ट्रैफिक व्यस्वस्था ध्वस्त होती हो। काशी को अब जाम के साथ जीने की आदत पड़ चुकी है, लेकिन क्या बाहर से आने वाले भी जाम झेलने को विवश होते रहे। अगर हां तो फिर पीएम मोदी के यहां हजारों करोड़ खर्च करने से फायदा ही क्या। पिछले 8 साल में मोदी ने काशी पर धनवर्षा की है। सड़क से लेकर मंदिर तक सब कुछ बदल गया है, अगर नही बदला है तो यहां के यातायात संचालन की व्यवस्था। जिसकी जिम्मेदारी यहां के अफसरों पर थी लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया, जिसका खामियाजा आज काशी की जनता रोज झेल रही है। बाबा सद्बुद्धि दे जिम्मेदारों को, जिससे आने वाले समय मे यहां की ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के लिए उनका गंभीर प्रयास शुरू हो सके।