पूर्व राज्यपाल बूटा सिंह का दिल्ली में निधन, पीएम मोदी, राहुल गांधी ने जताया शोक


पूर्व केंद्रीय मंत्री बूटा सिंह का निधन हो गया है. आज दिल्ली में उन्होंने अंतिम सांस ली. बूटा सिंह सिख समुदाय के बड़े नेता थे. वे केंद्र में मंत्री भी रहे थे. इसके अलावा बूटा सिंह बिहार के राज्यपाल भी थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर गहरा शोक जताया है.

86 वर्षीय बूटा सिंह का अंतिम संस्कार आज ही किया जाएगा. बूटा सिंह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. आठ बार सांसद रहे बूटा सिंह का राजनीतिक जीवन बहुत लंबा रहा. वर्ष 1934 जालंधर जिले में जन्में बूटा सिंह राष्ट्रीय राजनीति के एक बड़े चेहरे थे. उनका जन्म 1934 में जालंधर में हुआ था.

बूटा सिंह गांधी परिवार के विश्वासपात्र के तौर पर जाने जाते थे. लेकिन एक वक्त ऐसा आया जब उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी. सरदार बूटा सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री, कृषि मंत्री, रेल मंत्री, खेल मंत्री और बिहार के राज्यपाल और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति कमीशन के चेयरमैन के तौर पर राष्ट्रीय राजनीति और राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाई थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बूटा सिंह के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वह एक अनुभवी नेता और कुशल प्रशासक थे. पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने गरीबों और समाज में हाशिये पर चले गए लोगों के लिए आवाज उठाई. पीएम ने कहा कि वे उनके निधन से दुखी हैं और उनकी संवेदना बूटा सिंह के परिवार के साथ है.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बूटा सिंह के निधन पर शोक जताया है, सोनिया ने बूटा सिंह के बेटे से फोन पर बात की है और उन्हें ढाढ़स बंधाया है.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी बूटा सिंह के निधन पर अपनी संवेदना व्यक्त की है. राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि सरदार बूटा सिंह के देहांत से देश ने एक सच्चा जनसेवक और निष्ठावान नेता खो दिया है. उन्होंने अपना पूरा जीवन देश की सेवा और जनता की भलाई के लिए समर्पित कर दिया, जिसके लिए उन्हें सदैव याद रखा जाएगा. इस मुश्किल समय में उनके परिवारजनों को मेरी संवेदनाएं.

बूटा सिंह कांग्रेस से तब जुड़े थे जवाहर लाल नेहरू पीएम बने थे. बाद में उन्होंने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव और डॉ मनमोहन सिंह की कैबिनेट में अहम पद पर रहे. राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय रहने के अलावा उन्होंने अपनी पहचान दलित नेता के रूप में बनाई. वह 1978 से 80 तक कांग्रेस के महासचिव रहे. इसके बाद भारत के गृह मंत्री और बाद में जब केंद्र में डॉ मनमोहन सिंह की सरकार आई तो वह बिहार के राज्यपाल (2004-2006) बने.