महिला कार्डियोलॉजिस्ट का ‘सेव साड़ी’ अभियान


भले ही महिलाएं समाज में बराबरी का हक पाने के लिए लड़ रही हैं, पर वे अपना सम्मान बरकरार रखने के लिए कुछ भी नहीं सोच रही। हालांकि, कुछ ऐसी महिलाएं हैं, जिन्होंने अपने दम पर खुद को समाज मे स्थापित ही नहीं किया बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा भी बनी। ऐसी ही एक महिला पीएम के संसदीय क्षेत्र में हैं, जो पेशे से एक चिकित्सक हैं पर भारतीय नारी का उच्च आचरण प्रस्तुत करने में भी अग्रणी हैं। ‘काशीवार्ता’ ने इसी महिला चिकित्सक डॉ.समता पाण्डेय से कुछ मुद्दों पर बातचीत की। प्रस्तुत है उसके कुछ अंश…
वाराणसी (काशीवार्ता)। गाजीपुर की मूल निवासिनी डा. समता के पिता सिंचाई विभाग में इंजीनियर पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। जबकि पति डॉ.अनुपम मिश्रा चिकित्सक हैं और सरकारी अस्पताल में कार्यरत हैं। डॉ.समता पाण्डेय ने बताया, वे 2012 से प्रैक्टिस कर रही हैं। इस दौरान कई निजी चिकित्सालयों में उन्होंने कार्डियोलॉजिस्ट के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं। वर्तमान में वे महमूरगंज स्थित एक निजी चिकित्सालय में बतौर कार्डियोलॉजिस्ट अपनी सेवा दे रही हैं। डॉ.समता का कहना है, गायनी के क्षेत्र से जुड़े लोग सीमित हो जाते हैं, इसलिए मैंने अलग फिल्ड का चुनाव किया। जो चुनौती पूर्ण रहा। लगन व आत्मविश्वास के चलते मैने अपने आपको इस फिल्ड में स्थापित किया। शुरूआती दौर में हार्ट के पेशेंट को संभालने में परेशानी जरूर हुई, लेकिन सीनियर चिकित्सकों के सहयोग से धीरे-धीरे मैने सबकुछ हैंडल कर लिया। सनद रहे, वाराणसी में कोई भी महिला कार्डियोलाजिस्ट नही है। आपका मानना है, भारतीय महिलाओं को पारंपरिक परिधान साड़ी पहनना चाहिए। वे इसको लेकर हमेशा व्यथित रहती हैं। उनका मानना है भारतीय महिलाओं को पाश्चात्य सभ्यता की ओर नही भागना चाहिए। भारत में महिलाएं कम उम्र की हों या ज्यादा, उनका साड़ी से रुझान खत्म हो रहा है। जिसको बचाने के लिए डा. समता विगत कई वर्षों से ‘सेव साड़ी’ अभियान चला रही हैं। आपने चिकित्सकीय पढ़ाई के दौरान साथ में पढ़ने वाली लड़कियों के पहनावे को देखकर ही ‘सेव साड़ी’ अभियान शुरू किया। दिल्ली में एक राष्ट्रीय साड़ी संगठन है, जो महिलाओं के भारतीय परिधान को लेकर अभियान चला रही है। विगत दिनों उस संस्थान से मैं जुड़ी और वर्तमान में संस्था की वाराणसी में ब्रांड एम्बेसडर हूं। आपका कहना है शिक्षा व शादी के पांच वर्षों तक उन वस्त्रों को खूब पहने, जिससे शरीर का अंग प्रदर्शित न हो, उसके पश्चात साड़ी को अपनाना चाहिए।