कृषि कानूनों के खिलाफ दो महीने से आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर मार्च निकाला. लेकिन बीते दिन जो हुआ वो हुड़दंग से कहीं अधिक था. दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में हिंसा देखने को मिली, पुलिस-प्रदर्शनकारियों में संघर्ष हुआ. हालांकि, अब आंदोलन करने वाले किसान दावा कर रहे हैं कि उत्पात से उनका कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि आंदोलन में कुछ उपद्रवी घुस आए थे.
अगर ट्रैक्टर मार्च से पहले किसान नेताओं के पुराने बयानों को देखें, तो सभी ने पुलिस द्वारा तय रूट पर चलने, शांति से मार्च निकालने और फिर वापस प्रदर्शनस्थल पर पहुंचने की बात कही थी. लेकिन ट्रैक्टर परेड के दौरान ऐसा कुछ नहीं हुआ. ट्रैक्टर परेड से पहले किस किसा नेता ने क्या कहा?
योगेंद्र यादव, 17 जनवरी: ट्रैक्टर परेड को शांतिपूर्ण ढंग से किया जाएगा. इस दौरान लोग कोई भी हथियार ना लाए, हिंसा या भड़काऊ भाषा का प्रयोग ना करें.
राकेश टिकैत, 20 जनवरी: हम लॉ एंड ऑर्डर को खत्म नहीं कर रहे हैं, हमारी भी सुरक्षा की जिम्मेदारी है. उस दिन (ट्रैक्टर परेड) क्यों हिंसा होगी, हिंसा का सवाल ही नहीं होता है. हालांकि, ट्रैक्टर परेड से पहले का एक राकेश टिकैत का वीडियो भी सामने आया है. जिसमें वो सभी लोगों से लाठियां लाने की अपील कर रही है.
दर्शनपाल सिंह, 25 जनवरी: ट्रैक्टर परेड के दौरान अनुशासन का पालन करें, सभी को धीरे ही ट्रैक्टर चलाना हो. कोई भी किसी तरह का स्टंट ना करें, इसको शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ाएं तभी इसको दुनिया में माना जाएगा. अगर इस दौरान कुछ होता है, फिर हमारे लिए चिंता की बात होगी.
गुरनाम सिंह चढूनी, 25 जनवरी: सभी किसानों को रूट का पालन करना होगा, तय रूट पर ही निकलें और शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ें.
बलवीर सिंह राजेवाल, 25 जनवरी: किसान ट्रैक्टर परेड को लेकर शांति ही बरतें और जैसे आंदोलन शांति के साथ चला है, वैसे ही परेड को चलाया जाएगा.
26 जनवरी के बवाल के बाद क्या आया बयान?
गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा हुई. आईटीओ, लालकिले, नांगलोई समेत कई इलाकों में दिल्ली पुलिस-प्रदर्शनकारियों के बीच भीषण संघर्ष भी हुआ. किसान संगठनों ने इस पूरे बवाल से अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की. गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के बाद किसने क्या कहा है, एक नज़र डालें..
राकेश टिकैत: सभी ट्रैक्टरों की जिम्मेदारी उनकी है, दिल्ली पुलिस ने तय रूट पर भी बैरिकेड लगाए थे. इसलिए जिन्हें दिल्ली का रूट नहीं पता था, वो किसान गलत तरफ ट्रैक्टर ले गए. लालकिले पर झंडा फहराने में उनका हाथ नहीं है, दीप सिद्धू जैसे लोगों ने किसानों को भड़काने का काम किया.
संयुक्त किसान मोर्चा: ट्रैक्टर परेड के दौरान जो हिंसा हुई है, उसका किसान मोर्चा से कोई संबंध नहीं है. कई उपद्रवी परेड में घुस आए और हिंसा की, काफी लोग उनके बहकावे में आकर अलग-अलग जगहों पर ट्रैक्टर ले गए.
योगेंद्र यादव: जिन लोगों ने हिंसा की है और लालकिले पर झंडा लहराया है, उसका हमारे संगठनों से लेना-देना नहीं है. कुछ लोग ऐसे हैं जो पहले से ही अलग रुख अपनाए हुए थे और लालकिले तक जाने की बात कर रहे थे. जिन्होंने कानून अपने हाथ में लिया, उनपर एक्शन होना चाहिए. इसके अलावा दीप सिद्धू जैसे लोग लगातार किसान नेताओं के खिलाफ थे, वो युवाओं को बरगलाने में लगे थे.