यातायात व्यवस्था का बेड़ा गर्क कर रहे ई-रिक्शा


वाराणसी(काशीवार्ता)। जिला व पुलिस प्रशसन के आला अफसरों के शहर को जाम से मुक्त कराने के प्रयासों के तमाम दावों के बावजूद शहर की यातायात व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। इस यातायात व्यवस्था का सबसे अधिक बेड़ा गर्क ई-रिक्शा वालों ने कर दिया है। रही-सही कसर आटो रिक्शा वाले पूरी कर दे रहे हैं।
यातायात विभाग और पुलिस थाने आम आदमी से यातायात नियमों के पालन के नाम पर लाखों जुर्माना वसूलकर अपने कार्यों की इतिश्री कर ले रहे हैं। जबकि असली जिम्मेदार उनकी आंखों के सामने थानों के सामने, चौराहों, शहर के प्रमुख स्थानों पर जाम के कारण बनते दिखाई देते हैं। पुलिस और यातायात विभाग के अधिकारी व कर्मचारी सब देखकर आखें मूंदे हुए हैं।
कैंट स्टेशन, लंका, मैदागिन, गिरजाघर, अस्सी घाट, नमो घाट, प्रहलाद घाट, अंधरापुल-नदेसर रोड, चांदपुर चौराहा, मंडुवाडीह, भिखरीपुर कहीं भी चले जाइए ई-रिक्शा वाले जाम की वजह के साथ दुर्घटनाओं के कारण भी बन रहे हैं। कहने को तो शहर के जाम का ठीकरा आम जनता और बाहर से आनेवाले पर्यटकों की भीड़ पर फोड़ दिया जाता है। लेकिन जानकारों का कहना है कि परिवहन और यातायात विभाग खुद इसके लिए जिम्मेदार है। ई-रिक्शा और आटो के असीमित परमिट जारी कर दिये जा रहे है। दोनों विभागों को यही नही पता होता है कि किस रूट पर कितने वाहन चल रहे हैं। खास बात यह कि बिना लाइसेंस के भी कई ई-रिक्शा और आटो चलाए जा रहे है। इसमें सत्ता से जुड़े कतिपय संगठनों स्वयंभू नेताओं की भी भूमिका बताई जा रही है। जिस मार्ग पर 50 ई-रिक्शा या आटो चलाये जाने चाहिए वहां दो सौ से ज्यादा वाहनों को छोड़ दिया जा रहा है। कुछ आटो व ई रिक्शा वालों के यूनियन की भी इसमें मिलीभगत है।
मनमानी है जाम के लिए जिम्मेदार-अजय चौबे
आटोरिक्शा वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष अजय चौबे भी मानते है कि यातायात विभाग की मनमानी इसके लिए जिम्मेदार है। उन्होंने कहाकि मैने नगर विकास मंत्री एके शर्मा, नगर निगम के आला अफसरों से मिलकर कई बार सुझाव दिये लेकिन कोई असर नही हुआ। शहर को जाम से मुक्ति के लिए गाजीपुर की बसों को आशापुर, आजमगढ़ की बसों को लालपुर और प्रयागराज की बसों को चांदपुर में रोकने का सुझाव दिया। इसके अलावा मनमाना परमिट जारी करने पर रोक लगाने के लिए ठोस व्यवस्था की बात की। आटो स्टैंड के विस्तारीकरण का प्रस्ताव दिया। लेकिन सबने इसे अनसुना कर दिया।