वाराणसी। गंगा के उद्धार को लेकर बीते कई वर्षों में अरबो रुपए खर्च हुए। राजनीति के केंद्र में भी गंगा को लेकर चर्चाएं होती रही लेकिन अब भी सतह पर बहुत कुछ नहीं हो पाया। काशी नगरी में गंगा के सफाई का लाख दावा हो लेकिन तलहटी की लंबे समय से सफाई न होने से कई वर्षों से विकट समस्या बनी हुई है। कई वर्षों से देखा जा रहा रेत के टीले उभरने से काशी में जहां गंगा का प्रवाह बाधित हो रहा वहीं गर्मियों में पथरीले घाटों को छोड़ गंगा दूर चली जा रही। ताजा मामला फिर लोगों को चौंकाने लगा है। आजकल राजघाट से लेकर चौबेपुर ढाब व चंदौली तक के कई स्थानों पर रेत के टीले फिर से उभरने लगे है। जीवनदायिनी मां गंगा की तलहटी में रेतीला टीला फिर से उभरने से लोगों की चिन्ता भी बढ़ रही है। काशी के आसपास भू जलस्तर तेजी से घट रहा। कई वर्षों से गर्मियों में इसका व्यापक असर भी दिखा है। जिस गति से अभी से रेत के टीले उभरने लगे है उससे आने वाले दिनों में जल स्तर कितना नीचे चला जाएगा कह पाना बेहद कठिन है। बता दें कि हाल ही में गंगा के पानी में काफी बढ़ाव हुआ था तब तटवर्ती इलाकों में बाढ़ की विभीषिका से पूर्वान्चल से बिहार तक तबाही भी आई। अचानक अब चन्द दिन बाद ही गंगा की सतह दिखने लगी तो लोगों का चौंकना लाजिमी है। रेतीले टीलों के उभरने के कारण और आने वाले दिनों जलस्तर और नीचे जायेगा। आने वाली सर्दियों में कुछ अन्य इलाकों में भी रेत के टीले उभर सकते हैं जो गर्मी आते आते बेहद कष्टकारी हो जायेंगे। इसी तरह चंदौली के नियामताबाद, चहनियां में भी रेत के टीले उभरते दिख रहे।