(डॉ. रजनीश सिंह)
वाराणसी (काशीवार्ता)। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की ओर से संचालित वातानुकूलित बसों की मरम्मत के लिए वाराणसी परिक्षेत्र में अवध डिपो की तर्ज पर एक अलग डिपो बनकर तैयार हो तो यहां की एसी बसों को रफ्तार मिले। वाराणसी परिक्षेत्र में कैंट व काशी डिपो में कुल 35 जनरथ बसें संचालित हैं, जिनकी देखरेख उसी डिपो की कार्यशाला में होती है। पुराने मैकैनिक के सेवानिवृत्त होने के बाद से एसी बसों के रखरखाव के लिए ठेके पर मैकेनिक रखे गये, जिन्हे बस में खराबी आने पर बुलाया जाता है। अनुभव हीनता के चलते उनसे तय समय पर मरम्मत नहीं हो पाती जिससे कई दिनों तक वे कार्यशाला में ही खड़ी रहती हैं। इसके चलते ना सिर्फ यात्रियों को परेशानी होती है बल्कि निगम के राजस्व पर भी प्रभाव पड़ता है। जनरथ के अलावा बाहर की डिपो से आने वाली एसी बसों में शुमार पिंक, स्कैनिया या फिर वॉल्वो में भी यदि वाराणसी में आने के बाद किसी किस्म की खराबी आती है तो यहां उसे ठेके पर ही ठीक करने की व्यवस्था है। कभी-कभी न बन पाने की स्थिति में इन बस को यहीं खड़ी कर दिया जाता है। लखनऊ में एसी बसों के लिए अवध डिपो बनाया है, जहां सिर्फ एसी बसों की ही देखरेख होती है। इनमें ज्यादातर ब्लोअर ना चलने व ठंडी हवा में कमी की शिकायत आती हैं, जिन्हे साधारण मैकेनिक ठीक नहीं कर पाते हैं।