कवाराणसी (काशीवार्ता)। केदार घाट स्थित करपात्र धाम में धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज की 116वी जयंती मनाई गई। इस अवसर पर एक विद्वत सभा का आयोजन किया गया। सभा का शुभारंभ मुख्य अतिथि कोलकाता विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रविंद्र नाथ भट्टाचार्य, विशिष्ट अतिथि विद्या तत्व अनुसंधान आश्रम हरिद्वार के प्रमुख स्वामी महेश चेतन ब्रह्मचारी, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुल सचिव प्रो. राकेश कुमार एवं सीआरपीएफ के कमांडेंट अनिल कुमार बिष्ट ने दीप प्रज्वलन कर किया। इस अवसर पर आयोजित गोष्ठी को संबोधित करते हुए संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वम्भर नाथ मिश्र ने कहा कि स्वामी करपात्री जी महाराज के बताए हुए रास्तों एवं उनके विचारों पर चल कर सनातन संस्कृति, देश एवं समाज का विकास संभव है। उन्होंने कहा कि स्वामी करपात्री जी महाराज हमेशा सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों पर चलते थे और उन्हीं सिद्धांतों का पालन कराने के लिए जीवन भर संघर्षरत रहे। मुख्य अतिथि रविंद्र नाथ भट्टाचार्य ने कहा कि स्वामी करपात्री जी सनातन संस्कृति के ऐसे ध्वज थे जो जीवन भर वेद, गाय, गंगा को लेकर हमेशा मुखर रहे। उन्होंने इसके लिए रामराज परिषद की स्थापना कर राजनीतिक गतिविधियों में भी हिस्सा लिया। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलसचिव राकेश कुमार ने कहा कि आज हमें स्वामी करपात्री जी द्वारा बताए रास्ते पर चलने की जरूरत है। उनके द्वारा बताए रास्ते पर चलकर ही समाज का विकास संभव है। गोष्ठी को संबोधित करते हुए अभिषेक ब्रह्मचारी एवं रोहित सिंह ने कहा कि आज स्वामी करपात्री जी महाराज के बताए हुए रास्ते पर चलने की युवाओं की जरूरत है। सभा की अध्यक्षता करते हुए करपात्र धाम पीठाधीश्वर स्वामी सर्वेश्वरनंद सरस्वती ने कहा कि स्वामी करपात्री जी महाराज ने सनातन धर्म को पूरे विश्व में एक प्रतिष्ठित स्थान दिलाया। उन्होंने सनातन संस्कृति पर होने वाले तमाम संशय का निवारण किया। अतिथियों का स्वागत ब्रह्मचारी दिव्या चेतन महाराज ने किया। कार्यक्रम का संचालन केशव देव तथा धन्यवाद किशन ने किया।