गंगा संग वरुणा भी उफान पर, चौकसी बढ़ी


वाराणसी (काशीवार्ता)। पहाड़ी इलाकों में लगातार हुई वर्षा तथा गंगा की सहायक नदियों में उफान के चलते आजकल काशी में भी गंगा उफान पर है। सामनेघाट लंका से राजघाट तक हजारों छोटे बड़े मंदिर डूब चुके हैं तो कई बाढ़ की आगोश में जाने वाले है। पानी बढ़ने के साथ काशी में तमाम घाटों का आपस में संपर्क भी टूट चुका है । मणिकर्णिका एवं हरिशचंद्र घाट पर शव दाह भी अब ऊपर की ओर होने लगा है। दशाश्वमेघ व शीतला घाट के विश्व प्रसिद्ध आरती स्थल में पुन: फेर बदल कर ऊपर की ओर कर दिया गया है। आजकल गंगोत्री से गंगासागर तक गंगा के तीव्र वेग से शहर- शहर ,गांव -गांव तटवासी त्राहिमाम कर रहे है। नदियों में पानी के बढ़ाव से पूर्वांचल के गोरखपुर, बलिया से बिहार तक लाखों एकड़ फसल बर्बाद हो चुकी है। कई इलाकों में जनधन की हानि संग पशुओं के चारे का संकट भी पैदा हो गया है। प्रयागराज से काशी तक गंगा किनारे के हजारों एकड़ खेत पानी में डूब चुके है। चौबेपुर ढाब के कई नए इलाकों में पानी चढ़ने से लोग ऊँचे स्थानों की ओर कूच कर गए। इधर गंगा के लगातार बढ़ने के बाद अब आदिकेशव घाट होते गंगा का पानी वरूणा में प्रवेश कर लोगों को दहलाने लगा है। चौकाघाट से कचहरी के शास्त्रीघाट तक वरुणा में आई बाढ़ का नजारा स्पष्ट देखा जा सकता है। लगातार दूसरी बार वरुणा का जलस्तर बढ़ा तो पानी शास्त्रीघाट के मुक्ताकाशीय मंच की ओर बढ़ रहा है। वरुणा किनारे नदी घेरकर किए गए अतिक्रमण को चिन्हित करने के बावजूद अबतक तोड़ा नहीं जा सका। अब वरूणा नदी का पानी ही खुद ऐसे मकानों की नींव कमजोर कर उन्हें गिराने पर आमादा है। बाढ़ के चलते जिला प्रशासन ने 15 सितंबर तक नाव के संचालक पर पहले ही रोक लगा दिया है।
गंगा चेतावनी बिंदु से अभी 3 मीटर नीचे

गंगा संग वरूणा नदी में आज भी जलस्तर बढ़ रहा था। केंद्रीय जल आयोग द्वारा गंगा का जलस्तर आज सुबह 8 बजे 67.74 मीटर रिकॉर्ड किया गया। वरूणा का पानी 24घण्टे में दो सीढ़ी ऊपर चढ़ा तो गंगा अभी भी चेतावनी बिंदु से लगभग 3 मीटर नीचे है। वाराणसी में गंगा के जलस्तर का चेतावनी बिंदु 70.262 मीटर है। 9 सितम्बर 1978 को गंगा के बाढ़ की भयावहता नगरवासी देख चुके है।