(अजीत सिंह)
गाजीपुर (काशीवार्ता)।कभी गाजीपुर के सांसद एवं केंद्रीय मंत्री रहे अब जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा उस समय अचानक भावुक हो गए, जब योगी सरकार में सहकारिता राज्यमंत्री डा. संगीता बलवंत ने मछुआरा का बेटा पुस्तक का विमोचन कराया। इस दौरान एलजी के सामने जैसे ही गाजीपुर की चर्चा शुरू हुई, उनकी आंखें भर आई। आंखों में आंसुओं का सैलाब था। यह सैलाब क्यों न हो। इसी मनोज सिन्हा ने गाजीपुर को गाजियाबाद बनाने का संकल्प दोहराया था। करीब बीस हजार करोड़ का विकास कराया, तीन बार पीएम को बुलाया। फिर भी जब लोकसभा चुनाव हुआ तो उन्हें एक लाख से अधिक
वोटों से हार का सामना करना पड़ा। यह हार सिर्फ मनोज सिन्हा के ही दिल में नहीं चुभती है बल्कि इस हार से पीएम मोदी भी हैरान थे। अभी सितंबर के आखिर सप्ताह में योगी सरकार में छह मंत्रियों ने शपथ लिया था। जिसमें गाजीपुर सदर से विधायक डा. संगीता बलवंत भी शामिल थीं। संगीता बलवंत बिंद जाति से आती हैं। भाजपा का मानना था कि पूर्वांचल में बिंद वोटरों को अपने पाले में करने का सबसे आसान तरीका है कि संगीता को मंत्री बना दिया जाए। वह कफी पढ़ी लिखी भी मानी जाती हैं।
उन्होंने मंत्री बनने के बाद सीधे तौर पर मीडिया में बयान जारी करके कहा कि आज जो भी कुछ हूं वह बाबूजी यानि जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की बदौलत हूं। उनका मैं जीवन भर कर्जदार रहूंगी। संगीता ने मंत्री बनने के बाद कई नेताओं से मुलाकात की। वह बीते शुक्रवार को दिल्ली प्रवास पर थीं। इस दौरान अपने सियासी गुरू जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मिलीं। यही नहीं अपनी बाल संग्रह पुस्तक मछुआरा का बेटा का विमोचन एलजी के हाथों कराया। विमोचन के बाद जब सिन्हा के सामने गाजीपुर की सियासी चर्चा होने लगी तो वह एक एक कार्यकर्ता और नेताओं का नाम सुनकर भावुक हो गए। बोले, गाजीपुर मेरी कर्मभूमि है। मैं गाजीपुर को कभी नहीं भूल सकता। भले ही मैं इस समय जम्मू एवं कश्मीर के दायित्व को निभा रहा रहूं। लेकिन हमेशा गाजीपुर मेरे दिल में रहेगा। यह सच है कि अगर कोई भी श्रद्धालु गाजीपुर से जम्मू कटरा में मां वैष्णो देवी का दर्शन करने जाता है तो एलजी की हमेशा यह ख्वाहिश रहती है कि राजभवन का अवश्य आएं। राज्यमंत्री संगीता बलवंत ने कहा कि काफी दिनों बाद एलजी साहब से मिलकर अच्छा लगा। उन्होंने गाजीपुर के लोगों का हाल चाल जाना।