गाजीपुर से होगी अगली हरित क्रांति की शुरुआत


(राजेश राय)
वाराणसी (काशीवार्ता)। क्या ऐसा सम्भव है कि गांव के बेरोजगार युवाओं को गांव में ही रोजगार मिले। खेती से ही इतनी आय हो कि उन्हें शहर के कल कारखानों में मजदूर की नौकरी के लिए विवश न होना पड़े। यही नहीं रोजगार पहले ही तय हो जाय उसकी टेÑनिंग बाद में शुरु हो। यह सपना नहीं हकीकत है और इस हकीकत को अंजाम तक पहुंचाने में लगे है संजय राय शेरपुरिया। संजय राय गुजरात के प्रसिद्ध उद्यमी है। मूलत: गाजीपुर जनपद के शेरपुर गांव के रहने वाले है। बरसों पूर्व असम फिर ये गुजरात जा बसे। वहां वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया और कांधला एनर्जी नामक कम्पनी की स्थापना की। इनकी कम्पनी से हजारों लोग जुड़े है। फिलहाल वे दिल्ली में सत्ता केंद्र के काफी नजदीक है। दिल्ली के वीआईपी इलाके में इनकी शानदार कोठी है। पर साारा सुख व वैभव छोड़ वे आजकल अपने गृह जनपद गाजीपुर के गावों की खाक छान रहे है। माटी का प्रेम उन्हें गांव की तरफ खींच लाया है। अपनी संस्था यूथरुरल इंटरप्रन्योर फाउन्डेशन के माध्यम से उन्होंने गांवों के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने का बीड़ा उठाया है। वे बताते है कि प्रधानमंत्री का सपना सबका साथ सबका विकास तभी सम्भव है जब समाज का हर वर्ग साथ चले। फांउडेशन द्वारा प्रस्तावित सेंटर फार एक्सलेस युवाओं किसानों बेरोजगारों के लिए आधुनिक तरीके से एकीकृत खेती एवं पशुपालन का मौका बेरोजगारों को अपने ही गांव में उपलब्ध कराती है। संजय राय बताते है कि कम जमीन कम लागत ज्यादा फसल ज्यादा मुनाफा उनका ध्येय है। खेती व पशुपालन आधुनिक तकनीक पर पर आधारित वैज्ञानिक तरीके से की जाय तो फायदेमंद है। एकीकृत खेती के माध्यम से किसानों की वार्षिक आय तीन से पांच गुना तक बढ़ायी जा सकती है। उन्होंने बताया कि पशुपालन, मछली पालन बकरी पालन मुर्गी पालन आदि रोजगार नयी तकनीक के माध्यम से किये जा सकते हैं। इसके लिए युवाओं को प्रशिक्षण की जरूरत है। उदाहरण स्वरुप अगर किसी किसान के पास एक एकड़ खेती है तो 20 प्रतिशत चारा लगाये जैसे मोरिंगा या नैपियर घास। नैपियर घास में प्रोटिन बहुत होता है। इसके खिलाने से पशुओं का दूध और पक्षियों का वजन जल्दी बढ़ता है। इसी तरह 20 प्रतिशत जमीन पर मौसमी फल सब्जी तथा अनाज, 20 प्रतिशत पर पाली हाउस बीस प्रतिशत पर मछली पालन तथा शेष 20 प्रतिशत पर मुर्गी पालन करें। यही है नये तरीके का पशुपालन। खेती की खेती साथ में पशुपालन से फायदा। संजय राय बताते है कि हम हर व्यक्ति की पसंद और मान्यताओं का भी ख्याल रखते है। जो व्यक्ति मुर्गी मछली नहीं पालेगा खेती नहीं करने का इच्छुक है उसके लिए भी हमारे पास उपाय है। सेंंटर फार एक्सलेंस रोजगार की गारंटी देती हैं। मेरा रोजगार स्कीम के तहत स्मार्ट स्ट्रीट वेंडर पर फोकस है। जहां साइकिल, रिक्शा, ई-रिक्शा पर चलती फिरती दुकान की सुविधा बहुत सस्ते में उपलब्ध करायेेंगे। साइकिल पर ही नाई, चाय व कपडे की दुकान लगायी जा सकती है। ठेले पर चाय नाश्ते की दुकान व सब्जी घूम-घूम कर बेची जा सकती है।