गाजीपुर (काशीवार्ता)। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में 60 हजार वोट पाकर अंसारी बंधुओं को कड़ी टक्कर देने वाले सपा के सीनियर नेता राजेश राय डेढ़ दशक से करईल की माटी में समाजवादी दीया जला रहे हैं। अंसारी बंधुओं के सपा में आने के बाद भी उनका सियासी दीया सियासत के धुंरधरों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। उनकी बढ़ती सक्रियता ने करईल की राजनीति को एक बार फिर पूरे जिले में चर्चा में लाकर रख दिया है। अभी भी कार्यकर्ता उनकी तरफ आशा भरी नजरों से देख रहे हैं। पिछले महीने सपा में इंट्री मारकर अंसारी बंधुओं ने सभी को हैरान कर दिया था। ऐसा माना जा रहा है कि पूर्व विधायक एवं बसपा सांसद अफजाल अंसारी के बड़े भाई सिबगतुल्लाह
अंसारी मुहम्मदाबाद से सपा के अगले प्रत्याशी होंगे। बसपा से सीधे सपा में आने के बाद मुहम्मदाबाद के कार्यकर्ता हैरान है। इधर सपा में अंसारी बंधुओं के आने के बाद भी मुहम्मदाबाद विस से चुनाव लड़कर करीब 60 हजार वोट पाने वाले राजेश राय की सक्रियता तनिक भी कम नहीं हुई है। उनकी मुहम्मदाबाद विधानसभा में लगातार बैठकें चल रही हैं। हालात यह हो गया कि मुहम्मदाबाद में दो गुट सक्रिय हो गए हैं। एक गुट अंसारी बंधुओं के साथ तो दूसरा गुट राजेश राय का है, जो अखिलेश के झंडे को ऊंचा किए हुए हैं। मुहम्मदाबाद के सियासी गणित पर एक नजर दौड़ाई जाए तो राजेश राय के लगातार मुहम्मदाबाद विधानसभा में 15 वर्षों से चलने के कारण उनकी आज भी सपा के कार्यकर्ताओं में अच्छी पैठ है। आज भी उनके कार्यालय पर अच्छी खासी भीड़ होती रहती है। यादवों के साथ ही भूमिहार मतदाता अपना नेता राजेश राय को मानते हैं। मुहम्मदाबाद की बदहाली और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में हुई आपसी रार ने प्रत्येक गांवों में भूमिहार मतदाताओं को दो खेमों में बांटकर रख दिया है। एक खेमा राजेश राय के साथ तो दूसरा खेमा विधायक अलका राय की जय जयकार कर रहा है। भूमिहार वोटों के दो खेमों में बंटना विधायक अलका राय के लिए चिंताजनक माना जा रहा है। विधायक के भतीजे आनंद राय अपने हिसाब से सियासत कर रहे हैं। भूमिहारों वोटों के बिखरने का किसको लाभ मिलेगा, इस पर भी बहस छिड़ गई है। वैसे देखा जाए तो कुछ प्रतिशत भूमिहार वोटों के साथ दलित मतदाता भी हमेशा अंसारी बंधुओं के साथ रहा है। जो अंसारी बंधुओं की जीत में सहायक साबित होता आ रहा है। अगर सिबगतुल्लाह अंसारी सपा से प्रत्याशी होंगे तो उन्हें राजेश राय को साथ लेकर चलने में ही भलाई होगी। क्योंकि समाजवादी धड़ा राजेश राय के प्रति अपनी सच्ची निष्ठा रखता है। यादवों का एक गुट राजेश राय को शहीद के रूप में देख रहा है, जबसे अंसारी बंधुओं की सपा में इंट्री हुई है। अब देखना होगा कि राजेश राय का अगला सियासी निर्णयग चुनाव में क्या गुल खिलाता है। वैसे भूमिहार लाबी चाहती है कि पीयूष को ही भाजपा 2022 में लांच करे। सियासत के जानकार मानते हैं कि राजेश राय का सियासी कदम मुहम्मदाबाद की राजनीति में अवश्य भूचाल लाकर रहेगा।