3 दिनों तक राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिविर का आयोजन किया। इस चिंतन शिविर में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई है। लेकिन इस चिंतन शिविर से अमृत निकला की नहीं निकला, इसका पता तो बाद में लगेगा। लेकिन कांग्रेस की स्थिति कुछ बदलती दिखाई नहीं दे रही है। एक और कांग्रेस नेता पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और वह है हार्दिक पटेल। गुजरात चुनाव से पहले हार्दिक पटेल ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। अपने इस्तीफे के साथ ही हार्दिक पटेल ने कहा कि अब सकारात्मक रूप से काम कर सकूंगा। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम एक चिट्ठी भी लिखी है। हालांकि, हार्दिक पटेल को लेकर कई दिनों से अटकलों का बाजार गर्म था। कांग्रेस से नाराज चल रहे थे।
कुछ दिन पहले ही अपने ट्विटर प्रोफाइल से कांग्रेस पार्टी और चुनाव चिन्ह हटाने वाले हार्दिक पटेल ने कहा कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में किसी भी मुद्दे के प्रति गंभीरता की कमी एक बड़ा मुद्दा है। हार्दिक पटेल ने साफ तौर पर कहा कि जिस तरीके से कांग्रेस के बड़े नेताओं ने जानबूझकर गुजरात की जनता के मुद्दों को कमजोर किया और बदले में स्वयं बड़े आर्थिक फायदे उठाए हैं, यह सभी को पता है। उन्होंने कांग्रेस नेताओं पर बिकने का आरोप लगाया और कहा कि राजनीतिक विचारधारा अलग हो सकती है परंतु वरिष्ठ नेताओं का इस प्रकार से बिग जाना प्रदेश की जनता के साथ बहुत बड़ा धोखा है। इसके साथ उन्होंने विश्वास जताया है कि मेरे इस निर्णय का स्वागत मेरा हर साथी और गुजरात की जनता करेगी। जनता से मिले प्रेम का ऋण चुकाने के लिए मैं सदैव प्रयास करता रहूंगा।
गुजरात में इस साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान हार्दिक पटेल एक अहम फैक्टर बनकर उभरे थे। हार्दिक पटेल के नेतृत्व में हुए पाटीदार आंदोलन की वजह से भाजपा की सीटें कम भी हुई थी। यही कारण था कि कांग्रेस ने उन्हें अपने साथ लिया था। हालांकि अब हार्दिक पटेल ने इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि हार्दिक पटेल का राजनीतिक करियर किस ओर रूख करेगा। जानकारी के मुताबिक हार्दिक पटेल से भाजपा और आम आदमी पार्टी दोनों ने संपर्क करने की कोशिश में है। पटेल समुदाय के बीच हार्दिक पटेल की अच्छी पकड़ है। गुजरात चुनाव को देखते हुए पार्टियों के लिए हार्दिक पटेल फायदेमंद साबित हो सकते हैं।