हाथरस पीड़िता की फॉरेंसिक रिपोर्ट में दावा, रेप के नहीं मिले सबूत, लेकिन इस वजह से उठ रहे हैं सवाल


लखनऊः हाथरस में 19 वर्षीय किशोरी के कथित सामूहिक बलात्कार के बाद उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार विरोधियों के निशाने पर है। इस बीच फोरेंसिक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि युवती से रेप का कोई सबूत नहीं मिला है। आगरा में एफएसएल (फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी) की अंतिम रिपोर्ट में कहा गया है कि सैंपल में स्पर्म नहीं मिला। हालांकि, विशेषज्ञ ने रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं क्योंकि यह हमले के 11 दिन बाद एकत्र किए गए सैपलों पर आधारित है।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश पुलिस ने पिछले गुरुवार को दावा किया था कि 19 वर्षीय युवती की फोरेंसिक रिपोर्ट में बताया गया है कि उसके साथ बलात्कार या सामूहिक बलात्कार नहीं हुआ। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि पीड़ित की मौत उसकी गर्दन की चोट के कारण हुई।

यूपी पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी प्रशांत कुमार ने कहा था कि एफएसएल रिपोर्ट में स्पर्म नहीं मिला है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि कुछ लोगों ने जाति-आधारित तनाव को भड़काने के लिए मामले को हवा दी है। ऐसे लोगों की पहचान और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

घटना के 11 दिन बाद आगरा में पीड़िता के सैंपल को फॉरेंसिक लैब भेजा गया था। इस पर विशेषज्ञों का कहना है कि इतने समय तक स्पर्म मौजूद नहीं रहता है। यूपी पुलिस के अनुसार, पीड़िता का सैंपल 22 सितंबर को अलीगढ़ के एक अस्पताल में लिया गया था। उसी दिन उसने अपना बयान दर्ज करवाया था। विशेषज्ञों का मानना है कि जांच बयान भी उतना ही महत्वपूर्ण है। फोरेंसिक रिपोर्ट के अनुसार, सैंपल 25 सितंबर को तीन दिन बाद आगरा में फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में भेजे गए थे।

आपको बता दे, गत 14 सितंबर को प्रदेश के हाथरस जिले के चंदपा थाना क्षेत्र स्थित एक गांव में 19 साल की एक दलित लड़की के साथ कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म की वारदात हुई थी। पुलिस ने इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है।