हाल ही में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने हार्ट फेलियर विद रिड्यूज्ड इजेक्शन फ्रैक्शन (एचएफआरईएफ) से पीड़ित वयस्क मरीजों के इलाज के लिए डैपाग्लिफ्लोजिन नाम की दवा को मंजूरी दी है। इससे दिल की बीमारी और हार्ट फेलियर से होने वाली मरीजों की मौत का जोखिम कम होगा। इससे पहले मई के महीने में यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने इस दवा को मंजूरी दी थी। दुनियाभर में हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर को दिल के रोगों और मरीजों की समय से पहले होने वाली मौत का खतरा होने के प्रमुख कारणों में से एक माना गया है। भारत में भी हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों की तादाद में बढ़ोतरी हो रही है।
जयपुर के इटरनल हॉस्पिटल के डीएम कार्डियोलॉजी और इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. संजीव के शर्मा के अनुसार डायबिटीज और कोलेस्ट्रोल के साथ हाई ब्लड प्रेशर भारत में कोरोनेरी हार्ट डिजीज के प्रमुख कारणों में से है, जिससे हार्ट फेल होता है। भारत में अन्य देशों के मुकाबले हार्ट फेलियर के काफी ज्यादा मरीज हैं। इसका प्रमुख कारण है कि भारतीयों में डायबिटीज और हाइपरटेंशन और कोलेस्ट्रोल ज्यादा पाया जाता है। इसके साथ ही उनमें धूम्रपान और बहुत ज्यादा मात्रा में शराब पीने की आदत होती है।
कारगर है नई दवा
डॉ. शर्मा ने बताया कि डैपाग्लिफ्लोजिन नाम की ओरल टैबलेट को मंजूरी मिली है। इस दवा का उद्देश्य दिल की बीमारियों से होने वाली मरीजों की मौत और उन्हें अस्पताल में भर्ती करने का जोखिम कम करना है। डॉक्टर इस दवा को मंजूरी मिलने के बाद यह उम्मीद कर रहे हैं कि हार्ट फेलियर विद रिड्यूज्ड इजेक्शन फ्रेक्शन से पीड़ित मरीजों को ट्रीटमेंट का एक और अतिरिक्त विकल्प मिलेगा, जिससे रोगियों के जीवित रहने की दर में सुधार आएगा।