काशी की बेटी हूं काशी में ही रहूंगी


वाराणसी(काशीवार्ता)। ‘काशी कबहुं न छोड़िये, विश्वनाथ को धाम।’ यह लाइन मशहूर मॉडल व एक्ट्रेस ममता राय पर बिल्कुल सटीक बैठती है। तीन साल पहले यहां आयी और बाबा विश्वनाथ व काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव की भक्ति में ऐसी रम गई की फिर यहीं की होकर रह गयीं। उनका कहना है इस नगरी में उन्हें नया जीवन मिला है। मरते दम तक इसे नहीं छोड़ूँगी। जौनपुर की मूल निवासी ममता राय ने अपने जीवन की शुरूआत कालीन नगरी भदोही में एक कालीन फैक्ट्री में काम से की थी। आपने कार्पेट डिजाइनिंग कोर्स किया है। यहीं उनकी मुलाकात मॉडलिंग की दुनिया में काम करने वालों से हो गई। बस फिर क्या था, प्रतिभा को उड़ान का अवसर मिल गया। राय ने मॉडलिंग शुरू कर दिया। इसमें उन्हें काफी शोहरत मिलने लगी। वे जर्मनी सहित कई यूरोपीय देश गई जहां उन्होंने कई ऐड फिल्मे की। अपना पहला ऐड एक आयुर्वेदिक हेयर आयल का किया। इसके बाद इन्होंने ऐसे ढेरों ऐड किए। ‘काशीवार्ता’ से बातचीत में ममता राय ने कहा, काशी बाबा विश्वनाथ व बाबा कालभैरव की नगरी है। मैं तो अब इसे छोड़ कर कहीं और जाने वाली नहीं। वैसे भी प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने इसे दिल्ली जैसा बना दिया है। आज पूरे विश्व से लोग बनारस को देखने आ रहें हैं। ममता नगर निगम की ब्रांड अंबेस्डर भी रह चुकी हैं। तथा वर्तमान में एक मशहूर ज्वेलरी शॉप की ब्रांड अम्बेस्डर हैं। पिछले दिनों आपकी एक वेब सीरीज ‘मिशन काशी’ लांच हुई। जिसको लेकर कुछ संगठनों ने इनका विरोध किया। हालांकि इनके समर्थन में भी कई संगठन आगे आए। जिस वजह से विरोध करने वालों की हवा निकल गई थी।


संयमित दिनचर्या है इनका मूलमंत्र
राय की दिनचर्या भी थोड़ी भिन्न है। संयमित दिनचर्या ही इनका मूलमंत्र है। रात्रि 10 बजे तक सो जाना और सुबह 3:30 बजे उठना उनकी आदत है। दिन की शुरूआत महादेव की पूजा अर्चना से करती हैं। वहीं हेल्थ कांसेस भी रहती हैं। योग-व्यायाम उनकी दिनचर्या का प्रमुख अंग है। मॉडलिंग की दुनिया जिस चकाचौंध से भरी होती है, ममता राय की जिंदगी उससे बिल्कुल इतर है। वे निजी जीवन को बहुत ही व्यवस्थित व शालीन तरीके से जीती है। दूसरों की कामयाबी से खुश होने वाली ममता को कई बार उनके कपड़ों पर भी कमेंट्स का सामना करना पड़ा है। बाहर वालो को कौन कहे, अपने भी इसमें पीछे नही रहे। बावजूद इसके वह अपने काम में डटी रहीं। जिसका परिणाम आज सबके सामने है। ममता का कहना है वे अपने मन में काशी की गरीब, असहाय व वृद्ध महिलाओं के लिए कुछ करने की इच्छा रखती हैं, जो उनके बाद भी चलता रहे। ममता अपने नाम से एक फाउंडेशन चलाती हैं, जिसके जरिये वे गरीब, असहाय बच्चों की मदद करती हैं।