एक पुरानी कहावत है ‘घर में नहीं है दाने, अम्मा चली भुनाने’ मतलब योग्यता एवं सामर्थ्य न होने पर भी बढ़-चढ़ कर बातें करना, दिखावटी ठाटबाट, पर सार कुछ भी नहीं। यही हाल भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का इन दिनों है। एक तरफ आतंक को पनाह देना और उसे भारत के लिए इस्तेमाल करना, आतंकियों पर जमकर पैसा बहाना वहीं दूसरी तरफ मुल्क की हालत ऐसी हो गई है कि सरकार के पास देश चलाने के लिए भी पैसे नहीं है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने आखिरकार सत्य को स्वीकार करते हुए मान लिया कि अपनी कारगुजारियों की वजह से मुल्क बर्बादी के कगार पर आ खड़ा हुआ है। पाकिस्तानी कप्तान ने स्वीकारा है कि उनकी हुकूमत के पास देश चलाने तक के लिए पैसा नहीं है।
पाकिस्तान के पास देश चलाने लायक पैसे भी नहीं बचे हैं। इसलिए विदेशों के सामने झोली फैलानी पड़ रही है। पाकिस्तान फेडरल बोर्ड ऑफ रेवन्यू के पहले टैक एंड ट्रेस सिस्टम उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए इमरान खान ने कहा कि देश चलाने के लिए पर्याप्त पैसा न होना सबसे बड़ी चुनौती है जिसकी वजह से उधार लेना पड़ता है। इमरान खान ने पैसों की तंगी की वजह टैक्स कलेक्शन में कमी और बढ़ते विदेशी कर्ज को बताते हुए कहा कि ये पाकिस्तान की सुरक्षा का राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है।
इमरान खान ने ब्रिटेन का उदाहरण देते हुए कहा कि पाकिस्तान से 50 गुणा अधिक आय वाले ब्रिटेन के मंत्री जब विदेश यात्रा पर जाते हैं तो पांच घंटे से कम की फ्लाइट के लिए वे इकॉनमी क्लास यूज करते हैं। उन्हें पता है कि जनता का पैसा इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके विपरीत अतीत में पाकिस्तानी नेताओं ने इस पर जमकर पैसा खर्च किया। खान ने आगे कहा कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जब अमेरिकी यात्रा पर जाते हैं तो देश का पैसा बचाने के लिए यूएस स्थित यूके के दूतावास में रुकते हैं। लेकिन पाकिस्तान में ये संस्कृति भी विकसित नहीं हुई।