लखनऊ । गावों में बड़ी तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण से चिंतित समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज वस्तु स्थिति प्रस्तुत करते हुए उसे नियंत्रण करने की अपील की। उन्होने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि शहरों के बाद प्रदेश के गांवो में कोरोना संक्रमण तेजी से फैलने लगा है। मौत का कहर बरपा रहे संक्रमण पर शासन-प्रशासन जानकर अनजान बन रहा है। भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोनों अपनी नाकामी छुपाने के लिए कोरोना नियंत्रण, जांच और वैक्सीनेशन प झूठा ढिढ़ोरा पीटने में लगे है। इस कारण भाजपा सरकार जनता जनता को बोझ जैसी प्रतीत हो रही है। गांवो में ताबड़तोड़ हो रही मौतों से दहशत व्याप्त है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रभारी मंत्री कहीं दिखाई नहीं पड़ रहे हैं। जो घर से निकल रहे हैं, वह भी सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं। मेरठ के प्रभारी मंत्री तो पिछले दिनो दो घंटे सर्किट हाउस के एसी कमरे में बैठकर चले गए और उन्होने जनता की न तो तकलीफें सुनी और नहीं अस्पतालों का निरीक्षण किया। भाजपा सरकार और उनके मंत्रियो की संवेदनहीनता मर चुकी है।
गांवो में कोरोना संक्रमण बढ़ने के कारणों पर प्रकाश डालते हुए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार दवाई, टेस्ट, डाक्टर तथा टीके को कोई इंतजाम नहीं कर पा रही है। गांवो में स्वास्थ्य का ढांचा भाजपा सरकार ने पहले से ही ध्वस्त कर दिया है। वे असहाय मूकदर्शक बन गए हैं। जिन पर लोगों के इलाज की जिम्मेदारी है वे हाथ पर हाथ धरे बैठे है।
गोंडा के गांवों में शहरों से 7 गुना ज्यादा संक्रमित पाए गए हैं । गत दिवस 119 मरीजों में से 105 ग्रामीण पॉजिटिव पाये गए। पंचायत चुनावों के बाद संक्रमण दर 18 प्रतिशत तक पहुंच गई है। खुद मुख्यमंत्री के गृह जनपद गोरखपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना कहर से हाहाकार मचा हुआ है। अधिकारी आंकड़ो पर पर्दा डालने के खेल में लगे हुए हैं। गोरखपुर की ग्राम पंचायतों में 46 हजार ग्रामीण खांसी, बुखार की चपेट में हैं प्रशासन सिर्फ 764 की संख्या बताकर अपनी नाकामी छुपा रहा है। लोग खांसी, बुखार और सांस फूलने से परेशान है। अभी तक पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं गांवो तक नहीं पहुंच पा रही है। कानपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में भी हालात बेकाबू हो रहे है। चौबेपुर गांव में 15 दिन में 35 मौतें हुई। ग्राम घसारा में 11 दिन में 13, ग्रामीण पीपली में 7 मौतें हुई। ग्राम परसहा में एक महीने में 24 मौतें हुई। बुखार-खांसी के तमाम मरीज हैं। बरेली के क्यारा गांव में बुखार-खांसी से 26 मरे। बुलन्दशहर के बसी गांव में 8 बुखार से मरे जब कि मदनपुर के नकईल गांव में 20 दिन में 15 मौतें हुई है। मुजफ्फरनगर के सोरम गांव में 12 मौतें हुई। कई गांवो में लोग बुखार में तप रहे हैं। उन्हें कोई पूछने वाला नहीं। भाजपा सरकार बस इलाज की जगह इश्तहार और जिंदगी की जगह मौत बांट रही है।
इसके बावजूद चारों ओर हाहाकार की चीखें भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कानों तक नहीं पहुंच रही है। वे अपनी सभी मानवीय संवेदनाएं खो चुके हैं। गंदी राजनीति और झूठा प्रचार कर वे आत्ममुग्ध हो रहे हैं। पर उन्हें नहीं पता कि जनता उनको किस निगाह से देख रही है, इसका अंदाजा उन्हें सन् 2022 के चुनावो में ही लगेगा।