देश भर में कोरोना वायरस के खिलाफ चल रहे टीकाकरण अभियान के बीच भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन एक बार फिर चर्चा में है. हाल ही में इस वैक्सीन को अमेरिका ने आपातकाल इस्तेमाल की मंजूरी नहीं दी थी. जिसके बाद अब इमरजेंसी यूज लिस्टिंग (EUL) के मूल्यांकन के लिए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन में 23 जून को प्री-सबमिशन मीटिंग होने वाली है.
Covaxin के निर्माता, भारत बायोटेक (Bharat Biotech India Limited) ने पहले कहा था कि उसने इमरजेंसी यूज लिस्टिंग के लिए आवेदन जमा कर दिया है और उम्मीद है कि इस साल जुलाई-सितंबर तिमाही में Covaxin के लिए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की मंजूरी की मुहर लगेगी. जानकारी के मुताबिक विश्व स्तर पर डब्ल्यूएचओ की मंजूरी के लिए कुल 22 टीकों ने आवेदन किया है. भारत बायोटेक के अनुसार, COVAXIN को 14 देशों से आपातकालीन उपयोग के लिए अनुमति मिल चुकी है वहीं अन्य पचास देशों में वैक्सीन के अप्रूवल का इंतज़ार है. भारत में बनी किसी भी वैक्सीन को कभी भी EUA या अमेरिका के FDA से पूर्ण लाइसेंस प्राप्त नहीं हो सका है. ऐसे में अगर कोवैक्सीन को अमेरिका में मंजूरी मिलती है तो ये भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी.
कोवैक्सीन को शुरुआत में काफी नकारात्मक प्रचार-प्रसार से गुजरना पड़ा. इसके सर्वे, ट्रायल्स, रिसर्च और वैक्सीन की क्षमता पर भी सवाल उठाए गए. लेकिन बाद में ये सारी बातें बेकार हुईं. कोवैक्सीन की क्षमता कोरोना वायरस के खिलाफ काफी ज्यादा निकली. ऐसे में माना जा रहा है कि यह कोरोना वायरस के कई स्ट्रेन यानी वैरिएंट्स के खिलाफ असरदार है.
बता दें कि अब तक, केवल आठ कोरोना वैक्सीन को WHO द्वारा EUL की मंजूरी दी गई है. जिसमें फाइजर, एस्ट्राजेनेका, जेनसेन, मॉडर्ना, सिनोवैक और सिनोफार्म के टीके शामिल हैं.