भारत के दबाव में कदम पीछे खींचने पर मजबूर हुआ चीन, श्रीलंका में अपने हाईब्रिड एनर्जी प्लांट को किया बंद


चीन वैसे तो पूरी दुनिया में अपनी धौंस जमाने का मंसूबा रखता है। सुपरपॉवर बनने की चाह लिए अतिक्रमण के रास्ते अमेरिका को टक्कर देने की कोशिश भी करता रहता है। लेकिन हालिया घटनाक्रम के जरिये भारत ने चीन के अतातायी मंसूबों की उड़ान को जमीन पर लाया और बखूबी इस बात का एहसास कराया कि झुकती है दुनिया बस झुकाने वाला चाहिए। दरअसल, चीन ने श्रीलंका में चल रहे अपने एक बड़े प्रोजेक्ट को रोक दिया है। जिसके पीछे उसने ये दलील दी है कि तीसरे पक्ष के सुरक्षा चिंताओं की वजह से इस प्रोजेक्ट को बंद किया है। जाहिर है कि चीन का इशारा भारत की तरफ ही था, क्योंकि ये निर्माण भारत की समुंद्री सीमा के नजदीक था। 

चीन श्रीलंका के तीन द्विपों पर हाईब्रिड इलेक्ट्रिक प्लांट का निर्माण कर रहा था। इसके लोकेशन को लेकर भारत की तरफ से सवाल उठाए जा रहे थे। चीन की सिनो सोलर हाइब्रिड टेक्नोलॉजी नामक फर्म को डेल्फट, नागदीपा और अनलथिवु द्वीपों में एक हाइब्रिड नवीकरणीय उर्जा प्रणाली स्थापित करने का ठेका दिया गया था। ये जासना द्विप के तट से थोड़ी दूरी पर है। ये भारत के तमिलनाडु के करीब स्थित हैं।इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत का नाम लिए बिना, चीनी दूतावास ने एक ट्वीट में कहा कि “चीनी सिनो सोलर हाइब्रिड टेक्नोलॉजी श्रीलंका के 3 उत्तरी द्वीपों में हाइब्रिड ऊर्जा प्रणाली का निर्माण करने केप्रोजेक्ट को निलंबित कर रहा है, इसके पीछे तीसरे पक्ष से ‘सुरक्षा चिंता’ वजह है। 

इसके साथ ही बताया गया कि बीजिंग ने मालदीव में 12 द्वीपों पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए 29 नवंबर को एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। Newsfirst.lk की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 की शुरुआत में भारत ने डेल्फ़्ट, नागदीपा और अनलथिवु में अक्षय ऊर्जा बिजली संयंत्रों के निर्माण के लिए चीनी कंपनी को टेंडर देने पर श्रीलंका के साथ “मजबूत विरोध” दर्ज कराया था। यह अनुबंध सहायक विद्युत आपूर्ति विश्वसनीयता सुधार परियोजना का हिस्सा था, जिसे सीलोन विद्युत बोर्ड (सीईबी) द्वारा कार्यान्वित किया जाता है और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) द्वारा वित्त पोषित किया जाता है।

पिछले महीने, लंका सरकार ने कोलंबो पोर्ट के पूर्वी कंटेनर टर्मिनल को विकसित करने के लिए राज्य द्वारा संचालित चाइना हार्बर इंजीनियरिंग कंपनी से अनुबंध से किया। महीनों बाद उसने गहरे समुद्र में कंटेनर बंदरगाह बनाने के लिए भारत और जापान के साथ एक त्रिपक्षीय सौदा खत्म कर दिया था। बीजिंग के विवादास्पद बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत श्रीलंका में विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में चीन सबसे बड़े निवेशकों में से एक है। लेकिन इसकी स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हुई है और इस बात को लेकर चिंता बढ़ रही है कि चीन ने श्रीलंका को कर्ज के जाल में फंसाया है।