बुद्धिजीवियों का मूड नहीं भांप सकी भाजपा


(डा. लोकनाथ पाण्डेय)
वाराणसी। एमएलसी चुनाव में प्रधानमंत्री के संसदीय सीट से सटे पूर्वांचल के आठ जिलों में बुद्धिजीवियों के मूड को शायद भाजपाई भांप ही नहीं सके। अति आत्म विश्वास व जनता के बीच कमजोर पैठ होने का खामियाजा उसे भुगतना पड़ गया। यह हार स्थानीय नेताओं के जनता से दूरी को बयां भी करती है। सपा ने जहां इस चुनाव को शुरू से गम्भीरता से लिया तो कांग्रेस अपनी ही गुटबाजी के द्वंद में फंसकर बिखरती चली गई। इस हार से सत्ताधारी पार्टी को सीख लेनी होगी। जनता ने इस चुनाव के बहाने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि अब सिर्फ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सहारे ही भाजपा में सबको जीत नहीं मिलने वाली। यदि जनता के मुख्य मुद्दों पर स्थानीय नेता खरे नहीं उतरे तो उन्हें ऐसे ही चुनावों में साइलेंट होकर सबक सिखाया भी जा सकता है। कुछ नेताओं की करनी से अब बनारस में बीजेपी के किले ढ़हते नजर आ रहे हैं। महाराष्ट्र के साथ ही उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव में बीजेपी को अपने गढ़ में हार का सामना करना पड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में शिक्षक व स्नातक दोनों एमएलसी सीट पर समाजवादी पार्टी की जीत से बड़ा सन्देश भी चला गया। भाजपा के इस मजबूत गढ़ में समाजवादी पार्टी के लाल बिहारी यादव ने निर्दलीय प्रत्याशी प्रमोद मिश्रा को 936 वोटों से हराया। भाजपा खिसक कर तीसरे स्थान पर लुढ़क गई जौनपुर समेत कई जगहों पर विरोध भी भाजपा को भारी पड़ गया। इधर स्नातक सीट पर भाजपा प्रत्याशी केदारनाथ सिंह पहले ही राउंड से पीछे हुए तो अंत तक पिछड़ते रहे। सपा प्रत्याशी आशुतोष सिन्हा ने शुरू से जो बढ़त ली वह निर्णायक दौर तक जारी रही। बनारस में मिली ऐतिहासिक जीत को समाजवादी पार्टी ने बड़ी जीत बताया है। बता दें कि उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 11 सीटों पर चुनाव हुए थे। इनमें 6 शिक्षक और 5 स्नातक सीट रही। रुझानों और नतीजों के मुताबिक, 6 शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में से 3 पर बीजेपी व एक पर उसके समर्थित प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है, जबकि एक पर समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल की है।
बड़ी संख्या में स्नातको के नाम मतदाता सूची से रहने गायब
बनारस, गाजीपुर, समेत पूर्वान्चल के आठ जिलों में सवर्ण स्नातकों की बड़ी तादात है। इस बार भी हजारों मतदाताओं का नाम लिस्ट में दर्ज ही नहीं हो पाया। अकेले चिरईगांव ब्लाक के आशापुर में मीरा पांडेय, आशुतोष पांडेय, अभिषेक पांडेय, सीमा, पूजा, प्रतिमा समेत सैकड़ो लोगों का नाम लिस्ट में न होने से वे मतदान नहीं कर सके।इसी तरह तिलमापुर, लेढूपुर, हिरावनपुर, बरियासनपुर, लोहियानगर समेत दर्जनों गांवों व मुहल्लों के सैकड़ो स्नातक मतदाता ऐसे रहे जिनका नाम लिस्ट में इसबार भी गायब रहा। इसकी चिंता न किसी नेता ने की न उन्हें फुर्सत मिली की वे लोग खुद से जाकर अपना नाम वोटर लिस्ट में दर्ज करा सकें।