(आलोक श्रीवास्तव)
वाराणसी (काशीवार्ता)। पीएम मोदी पहले ही यह संदेश दे चुके हैं कि सरकार किसी भ्रष्टाचारी को बख्शने के मूड में नहीं है, जिसको प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ अक्षरश: पालन कर कड़े संदेश देते रहे हैं। परन्तु इन सबके बावजूद सरकारी कर्मचारियों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है और वो मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। पीएम के संसदीय क्षेत्र में ‘मुफ्त का चंदन, घिस रघुनंदन’ कहावत को चरितार्थ करते हुए जल निगम के मुख्य अभियंता का मामला प्रकाश में आया है। मिली जानकारी के अनुसार जल निगम वाराणसी क्षेत्र के मुख्य अभियंता वेद प्रकाश मिश्रा के सेवानिवृत्त होने के पश्चात नवम्बर-2019 में मुख्य अभियंता का कार्यभार ग्रहण करने वाले अधिकारी कैंटोनमेंट स्थित जल निगम के ‘हॉलैंड हाउस’ गेस्ट हाउस में बिना बुकिंग कराए एक वर्ष से अधिक समय से रह रहे हैं। जानकारी के अनुसार जल निगम के गेस्ट हाउस में रहने के लिए विभागीय अधिकारियों को सौ रुपये प्रतिदिन की दर से शुल्क जमा करना होता है। वहीं दूसरे विभाग के अधिकारियों को दो सौ पचास रुपये देने पड़ते हैं। बावजूद इसके मुख्य अभियंता द्वारा कोई शुल्क जमा न कर एक वर्ष यानि 365 दिन में जल निगम को 36 हजार 5 सौ रुपये के राजस्व की क्षति पहुंचाई गई है। जबकि मुख्य अभियंता के रहने हेतु भगवानपुर में आवास बने हुए हैं बावजूद वे सरकारी आवास में न रहकर गेस्ट हाउस में डेरा जमाए हुए हैं। आवास में रहने पर अधिकारी के वेतन से लगभग 8 हजार रुपये आवास भत्ता की कटौती होती।
इस प्रकार एक वर्ष में लगभग 96 हजार रुपये का भी जल निगम को नुकसान उठाना पड़ा है। एक वर्ष में गेस्ट हाउस का किराया व आवास भत्ता को जोड़कर 1 लाख 32 हजार 5 सौ रुपये की क्षति जल निगम को उठानी पड़ी है।