जॉनसन एंड जॉनसन ने गुरुवार को सिंगल डोज कोरोना वैक्सीन के आपाताकालीन इस्तेमाल के लिए अमेरिकी स्वास्थ्य नियामक से मंजूरी मांगी है. जॉनसन एंड जॉनसन ने खुद इस बात की पुष्टि की है. दवाई कंपनी ने अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) के पास इसकी मंजूरी के लिए आवेदन भेजा था. हाल ही में जॉनसन एंड जॉनसन के एक एक्सपेरीमेंट में भी कोविड-19 वैक्सीन के सिंगल शॉट का लंबे समय तक इम्यून पर रिस्पॉन्स देखा गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, 29 दिनों के भीतर करीब 90 फीसदी वॉलंटियर्स के शरीर में इम्यून प्रोटीन बना, जिसे न्यूट्रिलाइजिंग एंटीबॉडी कहा जाता है. जबकि 57 दिनों के अंदर सभी वॉलंटियर्स ने एंटीबॉडी जनरेट की. ट्रायल के पूरे 71 दिनों तक इम्यून पर इसका असर देखा गया.
इस वैक्सीन की अच्छी बात यह है कि इसे एक बार ही लगाना होता है. जबकि अब तक इस्तेमाल की जा रही फाइजर/बायोएनटेक और मॉर्डना वैक्सीन के दो शॉट्स लगाना अनिवार्य होता है. जॉनसन एंड जॉनसन का एक शॉट अमेरिका में चल रहे टीकाकरण को और भी आसान कर सकता है.
कंपनी के आवेदन के बाद नियामक डाटा का निरीक्षण करेगा और सलाहकार समिति के साथ बैठक करने के बाद ही इसके इस्तेमाल की मंजूरी देगा.
बता दें, भारत में कोविड-19 के खिलाफ 16 जनवरी से वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू हो चुका है. इस अभियान में सीरम इंस्टिट्यूट की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन से लोगों को वैक्सीनेट किया जाएगा.
इस दौरान प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 14 दिन के अंतराल में वैक्सीन के दो शॉट दिए जाएंगे. हालांकि, एक सवाल ये भी उठता है कि वैक्सीन लगने के कितने दिन बाद तक (Last long Immunity) किसी इंसान का शरीर इंफेक्शन से बचा रहेगा. यानी वैक्सीन से शरीर में बनी एंटीबॉडी कितने दिन तक रहेगी.
पिछले साल दिसंबर महीने तक, अमेरिका में मॉडर्ना और फाइजर-बायोएंडटेक की वैक्सीन लाखों लोगों की दी गई थी. सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी) ने इन दोनों वैक्सीन का इफेक्टिवनेस रेट 95 प्रतिशत के आस-पास बताया था. लेकिन ये वैक्सीन कितने समय तक इम्यूनिटी को बनाए रखती हैं? ये अभी तक रहस्य बना हुआ है.
हालांकि, पूरी दुनिया में एक्सपर्ट्स का मानना है कि समय और आगामी शोध के आधार पर ही इसे बारे में निश्चित तौर पर कुछ कहा जा सकता है. ऑरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर ग्लोबल हेल्थ के डायरेक्टर चुन्हुई ची के मुताबिक, कोविड-19 की वैक्सीन लगने के बाद शरीर में निश्चित समय के लिए इम्युनिटी रहती है. इससे बचने के लिए हमें हर साल भी वैक्सीन लगवाने की जरूरत पड़ सकती है.