370 खत्म होने के एक साल बाद का कश्मीर,क्या मिली कामयाबी?


पीएम मोदी ने एक नारा दिया था सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म किया गया था तब भी कहा गया था कि इस फैसले से जम्मू कश्मीर के लोगों का साथ भी है विकास भी है और विश्वास भी है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने वाले ऐतिहासिक फैसले को 5 अगस्त को एक वर्ष हो जाएंगे। इन 365 दिनों में कितनी बदली है रूत, कितनी बदली है रवानी और कितनी बदली है जिंदगानी इस बात को लेकर मीडिया में विमर्श, संवाद और विवाद निरंतर है। इसी कश्मीर की हवाओं में कभी बारूद की गंध घुली, कभी आतंकवादियों ने इसी की छाती को छलनी किया। इसी कश्मीर के चेहरे पर कभी पड़े अपने ही खून के छींटे। लेकिन साल भर पहले मोदी सरकार ने एक एक कड़ा और बड़ा फैसला लिया। ऐसा फैसला जो बदलने वाला था कश्मीर की तकदीर। मोदी सरकार का ये फैसला और गृह मंत्री अमित शाह का संसद में ऐलान कश्मीर के सियासी दस्तूर को बदल देने वाला था। बदल देने वाला था सूबे की सियासत की हर चाल को और टूटने वाली थी आतंकवाद की भी कमर। कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश होगा, इस एक वाक्य ने कश्मीर की आबोहवा को बदल कर रख दिया था।  गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक 370 हटने के बाद आतंकवाद की घटनाओं में करीब 36 प्रतिशत की गिरावट आई है। पिछले साल (जनवरी से 15 जुलाई तक) घाटी में कुल 188 आतंकवाद से जुड़ी घटनाएं हुई थीं, वहीं इस साल इसी अवधि में 120 आतंकी घटनाएं हुईं। इस अवधि में 2019 में 126 आतंकी मारे गए, जबकि इस साल इसी अवधि में 136 आतंकियों का खात्मा हुआ। पिछले साल घाटी में 51 ग्रेनेड हमले हुए वहीं इस साल 15 जुलाई तक 21 ग्रेनेड हमले हुए। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार रिपोर्ट की मानें पिछले साल आतंकी हमलों में कश्मीर में 23 आम नागरिकों ने अपने प्राण गंवाए थे जबकि 75 सुरक्षबलों के जवान शहीद हुए थे। वहीं इस साल 22 आम नागरिक मारे गए और 35 जवान शहीद हुए।

आतंकवाद की आग में झोंकने के लिए युवाओं की भर्ती और ट्रेनिंग में भी काफी कमी आई। पत्थरबाजी की घटनाएं भी कम हो गई हैं। सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से जारी किये गए आंकड़ों की मानें तो इसमें 48 प्रतिशत तक की कमी आई है। 5  अगस्त को धारा 370 जम्मू कश्मीर से हटाई गई थी और इसके बाद से अब तक 85 युवाओं के विभिन्न आतंकी संगठनों में शामिल होने की खबर है, जो पिछले साल के 114 के आंकड़े से कम हैं। जम्मू कश्मीर पुलिस के महानिदेशक दिलबाग सिंह के के अनुसार जहां 2018 से पहले एक सक्रिय आतंकी की उम्र 2-3 साल तक थी, वहीं यह अभ घट कर तीन महीने से लेकर 24 घंटे तक हो चुकी है। 2020 के पहले चार महीनों में विभिन्न आतंकी संगठनों में शामिल होने वाले 24 में से 21 आतंकी सुरक्षा बलों की गोली का शिकार बने।

साल भर होने को है इस फैसले को और मोदी सरकार ये बताने में जुटी हुई है कि उन्होंने कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म करके कश्मीर की दशा औऱ दिशा सुधार दी। जम्मू कश्मीर में बड़ी संख्या में आतंकियों का सफाया हो चुका है, लेकिन अभी आतंकवाद पूरी तरह ख़त्म नहीं हुआ है। लेकिन आगे भी आतंकवादियों को कोई डिस्काउंट नहीं मिलने वाला है और सुरक्षाबल पूरी तरह से मुस्तैद है।