कोल यार्डों में बड़े पैमाने पर हो रही कोयले में मिलावट


सिंगरौली (काशीवार्ता)। क्षेत्र के गोरबी, गोदवाली, बरगवां रेलवे साइडिंग कोल यार्ड में ट्रांसर्पोटरो द्वारा कोयले मे बड़े पैमाने पर भस्सी एवं डोलाचार की मिलावट की जा रही है। मिलावट के इस खेल में रेलवे विभाग, स्थानीय पुलिस प्रशासन, आरपीएफ की संदिग्ध बताई जा रही है। बिना रोक टोक के संगीता सेल्स, आकार कोल, विकास कोल, एनएमजी, श्री महाकाल, टूली माइनिंग आदि कंपनियों द्वारा कोयले में भारी मात्रा में मिलावट कर पावर परियोजाओं को कोयला भेजा जा रहा है। उक्त कंपनियां सस्ते दामों में कोयला ट्रांसर्पोटिंग का कांटेक्ट ले लेती है फिर कोयले में भारी मात्रा में भस्सी एवं डोलाचार की मिलावटी कर मुनाफा कमाती है। इस अवैध कारोबार का शेयर रेलवे विभाग के संबंधित अधिकारियों, आरपीएफ एवं स्थानीय पुलिस प्रशासन को भेजी जाती है। बताते है कि मिलावट के इस खेल में पावर परियोजनाओं के संबंधित अधिकारी की भी सेटिग रहती है। इसके चलते पावर परियोजनाओ को उच्च क्वालिटी के कोयला की जगह मिलावटी कोयला मिल रहा है। बताते है कि रैक में 4 हजार टन कोयला लोड होता है। जिसमें करीब दो हजार टन भस्सी या डोलाचार की मिलावट कर रैक लोड किया जाता है। डोलाचार मिलावट के बाद बचे हुए कोयले को महंगे दामो में दूसरी कंपनी को नगद राशि लेकर बेच दिया जाता है। ई-टेंडर की प्रकिया में झारखंड, छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र से आये हुए ट्रासर्पाेटरो द्वारा सस्ते दामो में कोल ट्रांसर्पाेटिंग का कार्य लेने के बाद कोयले में मिलावटी का खेल खेला जा रहा है। जिस दर ट्रांसर्पाेटर कांटेक्ट ले रहे उस रेट पर कोयले की ट्रांसर्पाेटिंग संभव नही है।
भस्सी गिट्टी का चूर्ण होता है जो बिल्कुल ज्वलन शील नही है। ट्रांसर्पाेटरो द्वारा चितरंगी, देवसर, माड़ा के इलाको से सस्ते दामों भस्सी मंगाकर कोल यार्ड में मिलावट कर पावर प्लांटो को छति पहुंचाई जा रही है। भस्सी मिलाने से मशीनो में खराबी आ रही है। डोलाचार आयरन का वेस्ट मटेरियल होता है। बताया गया है कि भस्सी एवं डोलाचार के अभाव में पहाड़ की मिट्टी काटकर कोयले में मिलावटी कर लोड कर दिया जाता है। मिलावटी कोयले के उपयोग से प्लांट की मशीनो पर इसका खासा असर पड़ रहा है।