महुली गांव में प्रतिबंधित पशु के काटे जाने से तनाव


फोर्स तैनात, कई हिरासत में, पूछताछ जारी
सोनभद्र (काशीवार्ता)। सोनभद्र को अशांत करने की हो रही साजिश को पुलिस ने विफल कर दिया। बताते है कि मांची थाना क्षेत्र के बिहार से सटे महुली गांव में प्रतिबंधित पशु के काटे जाने की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस गांव के कुछ लोगों को पूछताछ के लिये ले गयी । इससे क्षेत्र में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गयी। तनाव को देखते हुए आस पास की चौकियों से पर्याप्त संख्या में पुलिस और पीएसी बल बुला लिया गया है। बुद्धवार रात 3बजे के आस पास गांव के ही व्यक्ति ने लोगो को सूचना दी कि बैल की आवाज सुनाई दी है जिससे उसके वध की आशंका है जिस पर गांव के लोग उक्त घर के अंदर गये तो वहां का नजारा देख अवाक रह गए। मौके पर गोवंश क्षत विक्षत पड़ा था। सूचना तत्काल पुलिस को दी गयी। बताते चले कि महुली में अगरिया , यादव , खरवार इक्का दुक्का चेरो व राजपूत हैं लेकिन बिरादरी के नाम पर अपने को “साईं” ,अल्पसंख्यक कहने वालों की आबादी यहां अच्छी खासी है। साईं अपने आप को बिहार के निवासी बताते है । हालांकि अब उनके पास आधार, मतदाता और राशन कार्ड धारक भी हो गये हैं। गांव की प्रधान गीता सिंह के प्रतिनिधि सूर्य प्रताप सिंह ने पुलिस के आला अधिकारियों से सेलफोन पर जानकारी दी। वही पुलिस अधीक्षक ने बताया कि मामले की सूचना पर सात लोगो से पूछताछ की जा रही है । मौके पर सीओ सदर समेत आसपास की पुलिस फोर्स भेज दी गयी है स्थिति सामान्य है और निगरानी की जा रही है।

तस्करों का गेटवे है” खलियारी”

जिले की बिहार से लगने वाली सीमा का अंतिम गांव है “महुली”,इसके बाद बिहार का “डुमरका – चुमुरका ” गांव पड़ता है। बिहार में वारदात करके यूपी आना और यूपी में घटना अंजाम देकर बिहार जाना नक्सलियों के लिये बड़ा आसान था। सड़को के बनने और थाना व चौकियों की संख्या बढ़ने से नक्सलवाद की समस्या तो खत्म हो गयी। लेकिन सड़को के बन जाने से पिछले कुछ समय से तस्करों के लिये बड़ा आसान गेटवे बन गया है खलियारी का बॉर्डर। दिन की अपेक्षा रात में प्रतिबंधित गोवंश बड़े आराम से बार्डर पार कराये जाते हैं। इसकी सूचना थाने और चौकी को भी रहती है। पड़ोसी राज्य बिहार में शराबबंदी के कारण भी इस सीमा पर मधुशाला के दीवानो की अच्छी खासी तादात दिखाई पड़ जाती हैं। बीते दिनों पत्रकारों पर हुई गोलीबारी में बॉर्डर पार कराने के खेल में शामिल लोगों का हाथ होने की चर्चा भी खूब रहीं।

जांच की बात कह झाड़ लेते हैं पल्ला

बीते कुछ सालों से खलियारी बार्डर पर गोवंश की तस्करी रोकने के प्रशासनिक स्तर पर कोई कदम नही उठाया गया। बल्कि स्थानीय युवाओं ने गोवंश से भरी गाड़ियों को रोकने की कोशिश की तो उन्हें धक्का मारते हुए वाहन भाग निकले। शिकायत पुलिस अधीक्षक से लेकर उच्च अधिकारियों तक की गयी। लेकिन कार्यवाही के नाम पर केवल जांच की बात कह कर अधिकारी अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।