वाराणसी (काशीवार्ता)। काशी को क्योटो सिटी बनाने की कवायद चल रही थी इसी बीच शहर टोटो सिटी जैसा हो गया। जिस गली में देखो टोटो दिखाई दे जाएगी। मनमाना, घरजाना जैसे तरीके से टोटो सडको से लेकर गलियों में घूम रही है। छोटे आकर का होने के कारण सकरी गलियों में भी इसकी पहुंच है तो चौड़ी सडकों पर भी ये जाम का सबब बनी हुई है। आम नागरिकों की सुविधा के लिए आई टोटो अब यातायात व्यवस्था के लिए एक बड़ी समस्या बन चुकी है। यह तस्वीर मैदागिन चौराहे की है। तस्वीर में आपको दिखाई दे रहे टोटो आधी सड़क पर लगा कर सवारी बैठा रहे हैं। वहीं 25 फिसद हिस्से पर अतिक्रमण अपना पांव पसारे हुए है। अब समस्या ये है कि अन्य वाहन कैसे गुजरे। पुलिस खुद अपनी निगाहे जब इससे फेरे है तो आम नागरिक कब तक सडकों पर झगड़ा करता रहे। मैदागिन चौराहे के दोनों तरफ ही अवैध टोटो स्टैंड बना हुआ है। नम्बर टेकरी भी चोरी छिपे होती है तो ड्यूटी पर लगे पुलिस कर्मी आँखे क्यों बंद कर लेते हंै, ये समझ से परे है। ऐसी ही स्थिति बेनिया की है। बेनिया पार्किंग के सामने टोटो स्टैंड बन गया है। यहाँ आराम से नंबर टेकरी भी होती है और हाथो में लट्ठ लेकर नंबर टेकरी का कलेक्शन भी होता है। सवाल पूछने पर जवाब मिलता है कि हम तो चाहते है कि पुलिस हमें पकडे। मगर इनको रोके टोके कौन, ये एक यक्ष प्रश्न है। इस सम्बन्ध में यदि यातयात विभाग से बात करे तो उसके पास कोई रोड मैप नही है। वही आरटीओ से संपर्क करे तो जानकारी हासिल होती है कि पिछले 5 वर्षो में लगभग 10 हजार टोटो पंजीकृत है। अब अगर इस संख्या को देखे तो वाराणसी जनपद में 10 हजार के लगभग टोटो पंजीकृत है जबकि हकीकत में शहर के अन्दर ही इससे कही अधिक टोटो सडको और गलियों को गुलजार कर जाम का सबब बने है।