(शशिधर इस्सर)
वाराणसी(काशीवार्ता)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल सिडनी (आस्ट्रेलिया) में जब वेद वाक्य ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का हिंदी अनुवाद कर रहे थे। उसी समय बनारस में रैपिडो बाइक चालक जमाल हाकिम ने इसी भावना को मूर्त रूप दिया।
हुआ यूं कि रांची निवासी एक युवा शिवांग शुक्ला कल प्रात: दशाश्वमेध घाट पर नहाने गया था। भोर में उस समय घाट पर कोई नहीं था। उसने कपड़े उतार कर गंगा में डुबकी लगायी और जब वापस लौटा तो सारे कपड़े गायब थे, जिसमें उसके 1000 रुपये और 30 हजार रुपये का मोबाइल फोन मौजूद था। वह जल पुलिस थाने गया तो उसे यह कह कर टरका दिया गया कि चौकी या थाने जाओ। यह सर्वविदित है कि थाने पर रिपोर्ट लिखने के नाम पर किस तरह हिलाहवाली की जाती है। अक्सर घाटों पर लोगों के डूबने की घटना होती रहती है। घटना के बाद जल पुलिस सिर्फ शव निकालने के लिए पहुंचती है। हालांकि यह कार्य भी मल्लाह समुदाय द्वारा ही संपादित कराया जाता है। बहरहाल शिवांग थाने गया और उसका आवेदन पत्र ले लिया गया, लेकिन पुलिस ने फौरी तौर पर कोई कार्रवाई नहीं की। जिसपर मायूस शिवांग वहां से मीरघाट स्थित नया विश्वनाथ मंदिर पहुंचा, जहां नि:शुल्क भोजन मिलता है। इसी समय एक सवारी छोड़ने बाइक चालक जमाल वहां पहुंचा। उसने मंदिर के बाहर बैठे शिवांग को देख कर उससे घटना के बारे में जानकारी ली। साथ ही ढांढस बंधाते हुए उसे पैसे भी दिये ताकि वह रांची वापस लौट सके। उसने शिवांग से कहा कि वे उसका मोबाइल बरामद करवा कर रहेगा। उसने बताया कि उसकी भी बाइक व मोबाइल चोरी हो गयी थी, जिसे उसने 2 माह बाद बरामद करवाया था। उसने शिवांग से कहा कि वह सवारी छोड़ कर आता है और उसे पैंट शर्ट दिलवाकर स्टेशन तक खुद छोड़ने जायेगा। परंतु जमाल के आने से पूर्व ही शिवांग स्टेशन रवाना हो गया। जब जमाल लौटा तो शिवांग को न पाकर स्टेशन पहुंचा जहां उसने शिवांग को खोजकर उसे टिकट दिलाया तथा खाने का सामान भी दिया। इस प्रकरण में जमाल ने काशी में गंगा जमुनी तहजीब के साथ ही भाई चारे की अद्भुत मिसाल पेश की है।