नई दिल्ली। राज्यसभा में बुधवार को विपक्षी दलों के सदस्यों ने पेगासस जासूसी मामले, किसानों की समस्याओं और महंगाई को लेकर भारी शोरगुल और हंगामा किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। सुबह आवश्यक दस्तावेज पटल पर रखे जाने के बाद सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि नियम 267 के तहत समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव तथा कई अन्य सदस्यों ने किसानों के आंदोलन को लेकर नोटिस दिया है। उन्होंने कहा कि किसानों का आंदोलन महत्वपूर्ण मुद्दा है और इस पर अन्य प्रावधानों के तहत चर्चा की अनुमति दी जा सकती है। कई सदस्यों ने महंगाई और आर्थिक स्थिति पर चर्चा कराने को लेकर नोटिस दिया है। सरकार भी महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करना चाहती है। इसी दौरान कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सदन के बीच में आ गए और शोर-शराबा करने लगे। तृणमूल कांग्रेस के सदस्य अपने हाथों में प्ले कार्ड लिए हुए थे।
नायडू ने कहा कि जो सदस्य सदन के बीचों-बीच खड़े है वे अपने स्थान पर चले जाए नहीं तो वह नियम 155 के तहत सदस्यों का नाम लेंगे और वे सदन की दिनभर की कार्यवाही से वंचित हो जाएगे। इसके बाद उन्होंने सदस्यों को सदन से बाहर जाने का आदेश दिया। इसके बाद भी सदस्यों का शोर-शराबा जारी रहने पर सभापति ने कहा कि जो सदस्य सदन के बीचों-बीच खड़े हैं सभा सचिवालय उनकी सूची सभापीठ को देगा। इसके बाद भी हंगामा जारी रहने पर सदन की कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
विपक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा में नहीं हो सका शून्यकाल
पेगासस जासूसी, कृषि कानून और आसमान छूती महंगाई के मसले पर विपक्ष के भारी हंगामे के कारण लोकसभा में मानूसन सत्र के 12वें दिन शून्यकाल बाधित रहा और सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। प्रश्नकाल के दौरान 2 बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे सदन की कार्यवाही तीसरी बार जैसे ही शुरू हुई, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) और शिरोमणि अकाली दल समेत विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्य हंगामा करते हुए अध्यक्ष के आसन तक पहुंच गये। सदस्यों के हाथों में किसानों के मुद्दे, पेगासस जासूसी और महंगाई से जुड़े भिन्न-भिन्न प्रकार के नारे लिखी तख्तियां मौजूद थीं। पीठासीन अधिकारी राजेन्द्र अग्रवाल ने हंगामा के बीच ही महत्वपूर्ण दस्तावेज सदन पटल पर रखवाए। अग्रवाल ने सदस्यों को अपनी सीट पर जाने का भी आग्रह किया, लेकिन वे नहीं माने और जोर-जोर से नारेबाजी करने लगे। अंतत: सदन की कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। इससे पहले विपक्षी सदस्यों ने प्रश्नकाल को भी बाधित किया था और सदन की कार्यवाही 2 बार स्थगित करनी पड़ी। पीठासीन अधिकारी राजेन्द्र अग्रवाल ने एक बार के स्थगन के बाद 11:30 बजे प्रश्नकाल शुरू किया तो विपक्ष के सदस्य बैनर तथा तख्तियां लेकर सदन के बीचों-बीच आ गए और नारेबाजी करने लगे। अग्रवाल ने उन्हें ऐसा नहीं करने की सलाह दी और सदन चलाने का प्रयास किया, लेकिन सदस्यों का हंगामा लगातार जारी रहा। उसके बाद उन्हें कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी थी।
इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही 11:30 बजे तक तक स्थगित करनी पड़ी थी। सदन शुरू होते ही उन्होंने कुछ पूर्व सदस्यों के निधन की सूचना सदस्यों को दी और सार्वजनिक जीवन में उनके योगदान को याद करते हुए सदन में कुछ देर मौन रख उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। बिरला ने इसके बाद जैसे ही प्रश्नकाल शुरू किया तो विपक्ष के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। अध्यक्ष ने उनसे शांत रहने और सदन की गरिमा बनाए रखने का आग्रह किया और कहा कि जो व्यवहार वे कर रहे हैं वह अमर्यादित है और सदस्य ऐसा कर सदन का अपमान कर रहे हैं। हंगामा बढ़ता देख उन्होंने सदन की कार्यवाही 11:30 बजे तक स्थगित कर दी।