अन्न-धन की देवी मां अन्नपूर्णेश्वरी के दरबार में धनतेरस पर भक्तों ने सुख-सौभाग्य की गुहार लगाई। माता के दरबार से अन्न-धन का खजाना बंटा। पूरा मंदिर परिसर भी मां के जयकारे से गूंजता रहा।मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी स्वरूप का दर्शन कर भक्त निहाल हुए और माता से श्रीवृद्धि के साथ ही कोरोना के खात्मे की कामना भी की।
काशी विश्वनाथ के आंगन में विराजमान मां अन्नपूर्णा का दरबार मंगलवार को मंगला आरती के बाद से भक्तों के लिए खोल दिया गया। मां अन्नपूर्णा के स्वर्णिम स्वरूप के दर्शन करते हुए भक्तों ने अन्न धन का खजाना भी प्रसाद में पाया। मंदिर के महंत शंकरपुरी ने माता की भव्य आरती उतारी। इस दौरान 21 डमरू दल की ध्वनि से माता का दरबार गूंज उठा।
अन्नकूट तक भोर में चार बजे से रात ग्यारह बजे तक माता के दर्शन होंगे। माता के दर्शन के लिए भक्त सोमवार की दोपहर से ही कतारबद्ध हो गए थे। एक लाइन गोदौलिया तो दूसरी लाइन चौक थाने को छू रही थी। जैसे-जैसे दर्शन का समय नजदीक आ रहा था पूरा परिक्षेत्र मां के जयकारे से गुलजार हो रहा था।
वर्ष में सिर्फ चार दिन होते हैं दर्शन मान्यता है कि काशी नगरी के पालन-पोषण के लिए देवाधिदेव ने मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी। मंदिर के गर्भगृह में मां अन्नपूर्णा की ममतामयी छवियुक्त ठोस स्वर्ण प्रतिमा कमलासन पर विराजमान और रजत शिल्प में ढले भगवान शिव की झोली में अन्नदान की मुद्रा में हैं।
दायीं ओर मां लक्ष्मी और बायीं तरफ भूदेवी का स्वर्ण विग्रह है। इस दरबार के दर्शन वर्ष में सिर्फ चार दिन धनतेरस से अन्नकूट तक ही होते हैं। इसमें पहले दिन धान का लावा, बताशा के साथ मां के खजाने का सिक्का प्रसादस्वरूप वितरित किए जाने की पुरानी परंपरा है।