नयी दिल्ली। दिल्ली की ऐतिहासिक इमारत लाल किले को लेकर एक अजीबोगरीब वाकया सामने आया है। दरअसल, खुद को आखिरी मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर की पौत्र वधू बताने वाली सुल्ताना बेगम ने इस पर अपना दावा किया है। इसको लेकर सुल्ताना बेगम ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक अर्जी भी दाखिल की थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुल्ताना बेगम के अनुसार 1857 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने जबरदस्ती तरीके से लाल किले को अपने कब्जे में ले लिया था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कोर्ट ने याचिका की मेरिट पर बिना विचार किए ही उसे खारिज कर दिया। यह महिला मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के प्रपौत्र की विधवा होने का भी दावा करती हैं। उन्होंने कोर्ट से खुद को लाल किले की कानूनी वारिस बताते हुए इसका मालिकाना हक सौंपने का अनुरोध किया था।
दूसरी ओर कोर्ट ने सुल्ताना बेगम के दावे को खारिज करते हुए कहा कि जब आपके पूर्वजों ने लाल किले पर कोई दावा नहीं किया तो अब अदालत इसमें क्या कर सकती है? कोर्ट ने यह भी पूछा कि आखिर याचिका दायर करने में इतनी देरी क्यों हुई? इसका जवाब सुल्ताना के पास नहीं था। सुल्ताना ने बताया है कि वह आखिरी मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर -II के पोते मिर्जा मोहम्मद बेदर बख्त की पत्नी हैं। महिला ने अपनी याचिका में कहा कि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अवैध तरीके से लाल किले को अपने कब्जे में लिया था और उसे इसका मालिकाना हक सौंपा जाए। याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की एकल पीठ ने कहा कि 150 से अधिक वर्षों के बाद अदालत का दरवाजा खटखटाया गया और इसका कोई औचित्य नहीं है।
याचिकाकर्ता सुल्ताना बेगम ने कहा कि वह बहादुर शाह जफर के पड़पौत्र मिर्जा मोहम्मद बेदार बख्त की पत्नी हैं, जिनका 22 मई 1980 को निधन हो गया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुगल शासक से मनमाने तरीके से जबरन उनके अधिकार छीन लिये थे। न्यायाधीश ने कहा, मेरा इतिहास का ज्ञान बेहद कमजोर है लेकिन आपने दावा किया कि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा वर्ष 1857 में आपके साथ अन्याय किया गया।