मुस्लिम महिलाओं के रामदीपक से मनेगा दीपोत्सव


वाराणसी(काशीवार्ता)। इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा दुनिया भर में फैलायी जा रही हिंसा का जवाब व सकारात्मक प्रतिक्रिया काशी की मुस्लिम महिलाओं ने सौहार्द्र का दीपक बनाकर दिया है। दीपावली भगवान श्रीराम के अयोध्या आगमन के अवसर पर मनायी जाती है।मुस्लिम महिला फाउण्डेशन एवं विशाल भारत संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में मुस्लिम महिलायें इन्द्रेश आश्रम लमही में दीपावली के लिये भारत की मिट्टी एवं गाय के गोबर से विशेष रामदीपक तैयार कर
रही हैं।
चाइना के झालर का बहिष्कार का संदेश देने वाली मुस्लिम महिलायें प्रतिदिन सैकड़ों रामदीपक तैयार कर रही हैं, जिसे शहर के प्रतिष्ठित लोगों और हिन्दू परिवारों को अपने हाथ से वितरित करेंगी, जिसे दीपावली पर जलाया जा सके। रामदीपक बनाकर मुस्लिम महिलाओं ने पूरी दुनियां को शांति, सद्भावना और सौहार्द का संदेश देकर यह बताया कि भारतीय संस्कृति दुनिया को शांति का पाठ पढ़ा सकती है। एक दूसरे के तीज-त्यौहारों, खुशियों में भाग लेने से धर्म खतरे नहीं पड़ता बल्कि हर धर्म का सम्मान बढ़ता है।श्री इन्द्रेश आश्रम साकेत भूषण श्रीराम पीठ में जुटी मुस्लिम महिलाओं ने मिट्टी और गोबर का दीपक बनाने के लिए घरेलू पद्धति को अपनाया। कुछ महिलाएं विभिन्न रंगों से दीपक को रंग बिरंगा बना रही थीं, तो कुछ दीपक पर सितारा टिक्की लगाकर खुबसूरत बना रही थीं। अपने पड़ोसी हिंदू परिवारों को दीपक देने के लिए महिलाएं तरह-तरह से दीपक सजा रही थीं। दीपावली पर मुस्लिम महिलाएं प्रदूषण मुक्त रामदीपक तैयार कर रही हैं। रामदीपक लोगों के दिलों को जोड़ने और नफरत के अंधकार को खत्म करने का काम करेगा।इस अवसर पर मुस्लिम महिला फाउण्डेशन की नेशनल सदर हनुमान चालीसा फेम नाजनीन अंसारी ने कहा कि नफरत का अंधेरा चाहे जितना गहरा हो, दीपक का मामूली प्रकाश भी अंधेरे को खत्म करने की ताकत रखता है। अधर्म, नफरत, हिंसा को खत्म करने के लिए पूरी दुनिया को राम नाम का सहारा लेना चाहिए। रामदीपक विश्व के सांस्कृतिक प्रकाश का प्रतीक है। जहां भी राम नाम का दीपक जलेगा, हिंसा और नफरत खत्म होगी। श्रीराम पीठ के पीठाधीश डा० राजीव ने कहा कि राम के प्रति आस्था परिवार, समाज और देश को जोड़ने का काम करती है। संयोजन मुस्लिम महिला फाउंडेशन की नजमा परवीन ने किया। इस अवसर पर महनाज, मुन्नी बेगम, नगीना, अर्चना भारतवंशी,शहीदुन बेगम, तबस्सुम, नाजमा, हाजरा, जमीला, सुनिता,
रमता, पूनम, सरोज, गीता आदि महिलाएं मौजूद रहीं।