सातवाहन वंश के राजाओं का राजधानी रहा है नासिक


महाराष्ट्र का प्राचीन और सांस्कृतिक शहर नासिक पवित्र गोदावरी नदी के तट पर स्थित है और अपने ऐतिहासिक मंदिरों के लिए पूरी दुनिया के हिन्दुओं की आस्था का बड़ा केंद्र भी है। नासिक में अकसर त्योहारों पर लगने वाले मेलों और पर्वों में पूरे देश से श्रद्धालु उमड़ते हैं जिसके चलते यहाँ साल भर रौनक रहती है। नासिक शक्तिशाली सातवाहन वंश के राजाओं की राजधानी भी रह चुका है और मुगल काल में इस शहर को गुलशनबाद के नाम से जाना जाता था।
नासिक में लगने वाला कुम्भ मेला पूरी दुनिया में मशहूर है। कुम्भ मेले को यहाँ सिंहस्थ के नाम से जाना जाता है। भारतीय पंचांग के अनुसार सूर्य जब कुंभ राशि में होते हैं तब इलाहाबाद में कुम्भ मेला लगता है और सूर्य जब सिंह राशि में होते हैं तब नाशिक में सिंहस्थ होता है। लाखों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु इस मेले में आते हैं। 12 साल में एक बार लगने वाले इस मेले का आयोजन महाराष्ट्र पर्यटन निगम द्वारा किया जाता है। भारत में कुम्भ मेला चार जगहों पर लगता है। यह जगह नाशिक, इलाहाबाद, उज्जैन और हरिद्वार हैं। इलाहाबाद में लगने वाला कुम्भ का मेला सबसे बड़ा धार्मिक मेला है। नासिक आने वाले सभी श्रद्धालु पवित्र गोदावरी नदी में स्नान करते हैं। माना जाता है कि इस पवित्र नदी में स्नान करने से आत्मा की शुद्धि और पापों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा प्रत्येक वर्ष यहाँ शिवरात्रि के त्योहार को भी बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। नासिक के अन्य दर्शनीय स्थलों की बात करें तो सबसे पहले आपको लिये चलते हैं पंचवटी।
पंचवटी- पंचवटी नासिक के उत्तरी भाग में स्थित है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम, सीता और लक्ष्मण के साथ कुछ समय के लिए पंचवटी में रहे थे। इस कारण भी पंचवटी प्रसिद्ध है। वर्तमान समय में पंचवटी में जिस जगह से सीताजी का अपहरण किया गया था वह जगह पांच बरगद के पेड़ों के समीप है।
सीता गुम्फा- गुम्फा का शब्दिक अर्थ गुफा होता है। सीता गुम्फा पंचवटी में पांच बरगद के पेड़ के समीप स्थित है। यह नासिक का एक अन्य प्रमुख आकर्षण जगह है। इस गुफा में प्रवेश करने के लिए संकरी सीढ़ियों से गुजरना पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि रावण ने सीताहरण इसी जगह से किया था।
सुंदरनारायण मंदिर- यह मंदिर नासिक में अहिल्याबाई होल्कर सेतु के किनारे स्थित है। इस मंदिर की स्थापना गंगाधर यशवंत चंद्रचूड ने की थी। इस मंदिर में भगवान श्रीविष्णु की आराधना की जाती है। भगवान श्रीविष्णु को सुंदरनारायण के नाम से भी जाना जाता है।
मोदाकेश्वर गणेश मंदिर- मोदाकेश्वर गणेश मंदिर नासिक में स्थित एक अन्य प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर में स्थित मूर्ति में बारे में ऐसा माना जाता है कि यह मूर्ति स्वयं ही धरती से निकली थी। इसे शम्भु के नाम से भी जाना जाता है। महाराष्ट्र का सबसे प्रसिद्ध मीठा व्यंजन मोदक है जो नारियल और गुड़ को मिलाकर बनाया जाता है। मोदक भगवान गणेश का भी प्रिय व्यंजन है।

गोदा पार्क
रामकुंड गोदावरी नदी पर स्थित है, जो असंख्य तीर्थयात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां भक्त स्नान के लिए आते हैं। अस्थि विसर्जन के लिये यह कुंड एक पवित्र स्थान माना जाता है। यह माना जाता है कि जब भगवान श्रीराम नासिक आए थे तो उन्होंने यही स्नान किया था। यह एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है।

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कालाराम मंदिर
नासिक में पंचवटी स्थित कालाराम मंदिर वहां के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण गोपिकाबाई पेशवा ने करवाया था। हेमाडपंती शैली में बने इस मंदिर की वास्तुकला बहुत ही खूबसूरत है। इस मंदिर की वास्तुकला त्र्यंबकेश्वर मंदिर के ही सामान है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह मंदिर काले पत्थरों से बनाया गया है।

शिरडी
शिरडी एक छोटा-सा गांव है जो कोपरगाव तालुका में स्थित है। शिरडी भारत के प्रमुख धार्मिक स्थानों में से एक है। इस मंदिर के पुजारी महालसापति इन्हें साईं बाबा कहकर बुलाते थे। इसके अतिरिक्त यह मंदिर अपने अद्भुत चमत्कारों के लिए भी काफी प्रसिद्ध था।

सोमेश्वर मंदिर
सोमेश्वर मंदिर नासिक में स्थित सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में महादेव सोमेश्?वर की प्रतिमा स्थापित है। यह मंदिर गंगापुर रोड़ पर स्थित है। नासिक शहर से इस मंदिर की दूरी लगभग 6 किमी है।

नासिक आने के लिए निकटवर्ती अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा मुम्बई है। जबकि यह शहर बस और रेल मार्ग से भी देश के विभिन्न शहरों से जुड़ा हुआ है। यहाँ पर शहर के अंदर आने-जाने के लिए आपको टैक्सियां और परिवहन के अन्य साधन भी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।