(आलोक श्रीवास्तव)
वाराणसी (काशीवार्ता)। सरकारी अस्पतालों की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। कभी चिकित्सक नहीं तो कभी दवाओं का अभाव के चलते आम जनता आने से कतराती है। बावजूद इसके जो भी लोग यहां आते हैं उन्हें उच्चकोटि की दवा न मिलने से इलाज के दौरान लाभ नहीं मिलता है जिसके चलते लोग निजी चिकित्सालय का रूख करने को मजबूर होते हैं। इन सबसे अलग रामनगर क्षेत्र का एक वाक्या इन दिनों पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है। कभी लोगों के लिए हसमत का अस्पताल नाम से मशहूर सरकारी अस्पताल जहां मरीजों का इलाज होता था, आज वहां मुर्दो को ढोने वाली टिकठी बेची जाती है। उक्त अस्पताल में नगरवासियों की सुविधा के लिए प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध होती थी। पीएचसी के बगल में ही लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल होने के कारण इक्का-दुक्का ही मरीज उक्त अस्पताल में आते थे। जिसके चलते उसे चिकित्सक आवास बना दिया गया। कालांतर में स्व.डॉ.आर.आर.राय व बाद में फार्मासिस्ट गुप्ता जी स्वास्थ्य विभाग की ओर से उस भवन में रहते थे। परन्तु न जाने क्यों जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ने इस भवन की ओर से अपनी नजर हटा ली और रामनगर के बीचों-बीच बना उक्त भवन जीर्णशीर्ण अवस्था में परिवर्तित हो गया और उक्त भवन पर क्षेत्रीय लोगों ने कब्जा कर टिकठी बेचने का धंधा शुरू कर दिया। इसी दौरान नगरवासियों के लिए एक अच्छा सर्वसुलभ स्थान का जीर्णोद्धार कराने के बजाय दूरस्थ इलाकों में शहरी स्वास्थ्य केन्द्र का उद्घाटन कैंट विधायक द्वारा किया जाना लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
विधायक ने मित्र के मकान में बनाया सामुदायिक केंद्र
सामाजिक कार्यकर्ता अमूल्य सिन्हा ने काशीवार्ता से बात करते हुए कहा कि सरकारी भवन की मरम्मत न कराकर क्षेत्रीय विधायक ने वोट की राजनीति के चलते अपने पारिवारिक मित्र के घर पर शहरी सामुदायिक केंद्र का उद्घाटन किया। श्री सिन्हा ने कहा कि रामनगर चौक से मात्र सौ मीटर दूर दक्षिण में स्थित सरकारी भवन को छोड़कर निजी आवास में किसी शहरी स्वास्थ्य केन्द्र का रामनगर से दूर स्थापित कर क्षेत्रीय विधायक प्रदेश के राजस्व को क्षति पहुंचाने का प्रयास किया है। कहा कि कैंट विधायक वंशवाद और परिवारवाद को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं।