चीन के उकसाने पर नेपाल की भारत विरोधी कार्रवाईयों को लेकर पिछले कुछ समय से भारत-नेपाल रिश्तों के बीच खटास बढ़ी है। खास कर मोदी सरकार में नेपाल ने अपने रिश्ते ज्यादा खराब कर लिए हैं। इस बीच भारत और नेपाल के द्विपक्षीय संबंधों में दोनों देशों की बहुसंख्यक हिंदू आबादी को लेकर सवाल उठा लाजिमी है। इस सवाल पर नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवाली कहते हैं, ”भारत और नेपाल में कई स्तरों पर समानता है।
सांस्कृतिक समानता दोनों देशों के संबंधों को मज़बूत बनाने वाली सबसे अहम कड़ी है। दोनों देश एक गौरवशाली सभ्यता का प्रतिनिधित्व करते हैं और इसमें समृद्ध ज्ञान परंपरा रही है। आयुर्वेद, योग, ज्योतिष भारत और नेपाल दोनों देशों के लिए समान हैं। ”नेपाल और भारत के संबंधों में कभी-कभार उतार चढ़ाव भी आए लेकिन सांस्कृतिक संबंध की जड़ें बहुत गहरी हैं इसलिए दोनों देशों के लोगों के बीच संबंध में गर्मजोशी बनी रहती है । उन्होंने कहा कि धर्म को न तो देश के आंतरिक मामले में लाना चाहिए और न ही दूसरे देश के साथ संबंधों के बीच में लाना चाहिए। ”
उन्होंने कहा कि भारत-नेपाल में हिंदुओं का होना विदेशी संबंध में कोई मायने नहीं रखता है। प्रदीप ज्ञवाली के इस बयान से नेपाल और भारत के बीच बेटी-रोटी का रिश्ते की मिसाल पर सवाल उठने लगे हैं। बता दें नेपाल की सीमा तीन तरफ से भारत से जुड़ी है और एक तरफ़ तिब्बत की सीमा लगती है। इतना कुछ होने के बावजूद नेपाल और भारत के रिश्ते आजकल ठीक नहीं हैं। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने पिछले कार्यकाल में चार सालों के भीतर नेपाल के तीन दौरे किए थे। मोदी का तीसरा नेपाल दौरा मई 2018 में था।