कभी सियासी रूप से मजबूर नहीं हुए ‘धमकाऊ गुरू’


¦f(अजीत सिंह)
गाजीपुर (काशीवार्ता)। तारीख थी 25 जनवरी। समय था रात के 12 बजे। धमकाऊ गुरू को महाभारत के अभिमन्यु ने समझाया कि नाच गाने वाली फोटो लगाकर फंलाने इज्जत का बंटाधार कर रहा है। फिर क्या था धमकाऊ गुरू तैस में आ गए। उन्होंने फोन लगाने का फरमान सुनाया। फोन लगते ही अपने धमकाने वाले अंदाज में उतर गए। खूब समझाया और धमकाया भी। बोले, बस कुछ दिनों की ही तो बात है। फिर देखना क्या होगा। दूसरे दिन टीपू के पास पहुंचे और टीपू ने हाथों हाथ लिया। न चाहते हुए, वह दे दिया जिसके लिए दो और लोग लगे थे।
इधर उनकी धमकाने वाली बतिया भी सभी जान गए। जब रपट लिखी गई तो खाकी के कान खड़े हुए। साहब के आदेश पर खाकी ने घर जाकर डंडा भी पटका लेकिन कोई नहीं दिखा। धमकाऊ गुरू तो गायब थे। उनके फरार रहने से अब क्षेत्र में भद्द होने लगी। लोग कह रहे हैं कि गुरू कहां चले गए। फिर क्यों नहीं क्षेत्र में आकर धमका रहे हैं। अब हेकड़ी कहां चली गई। तभी मोछा पर ताव देते हुए बाबा वाले समर्थक आ गए। बोले, धमकाऊ और चमकाऊ गुरू का असली चेहरा सब जान गए हैं, यह सब वोट की राजनीति है। कब तक यह सब चलता रहेगा। अब जमाना बदल गया है। धमकाऊ गुरू अपनी कार्यशैली बदलें और जनता का आशीर्वाद मांगें। तभी दूसरा उसमें कूद गया। बोला, धमकाऊ गुरू ने कम से कम 15-20 रपट इसी आदत के चलते लिखा ली अपने ऊपर। चुनाव में तो उन्हें सब कुछ बताना पड़ेगा। इसी बीच तीसरे की इंट्री होती है। बोला, अरे धमकाऊ गुरू ऐसे हड़काते हैं जैसे कि राजा का बेटा हो।
जनता ने आशीर्वाद दिया और बन गए सिकंदर तो समझ रहे हैं कि हमेशा एक जैसा दिन रहेगा। कइयों की हस्ती बनते और बिगड़ते देखा है। अब तो सब कुछ बदलना पड़ेगा। और उनका डीएम दलित मुसलमान समीकरण भी रही सही कसर भी चुनाव में पूरा कर देगा। जिस जनता का वोट लेकर सिकंदर बनते हैं उन्हीं को धमकाते हैं। जी हां यही कारण है कि अब छवि बनने के बजाय खराब हो रही है। इसी धमकाने के कारण ही मोहरता ने भी करारा जवाब दिया और कह दिया कि धमकाने वाले लोगों को तीसरे नहीं चौथे नंबर पर जनता ने भेजने का मन बना लिया है। हालांकि धमकाऊ गुरू अभी क्षेत्र में नहीं दिख रहे हैं। सुना है कि स्टे लेकर ही मैदान में कूदेंगे।