चौथे दिन भी नहीं खिली धूप


वाराणसी(काशीवार्ता)। पछुआ हवा ने वाराणसी में ठिठुरन और सिहरन बढ़ा दी है। पारा पूरे दिन 19 डिग्री सेल्सियस के ऊपर जा ही नहीं रहा। वहीं, न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस पर आ गया। आज चौथे दिन भी बादल छाए हैं और सूर्य की रोशनी धरती पर नहीं पड़ी है। काशी के लोग धूप के लिए तरस गए हैं। गंगा घाटों, सड़कों, गलियों और मंदिरों में हर ओर लोग अलाव के पास ही नजर आ रहे हैं। प्रचंड ठंड के चलते वाराणसी में 12वीं तक स्कूल कल तक बंद रहेंगे। मौसम विज्ञान विभाग ने अलर्ट जारी किया है कि वाराणसी में अगले 4 दिनों तक भयानक कोहरा छाया रहेगा। विजिबिलिटी 50 मीटर से नीचे आ सकती है। पिछले 4 दिनों से वाराणसी का अधिकतम तापमान 15-16 डिग्री सेल्सियस पर आकर टिक गया है। कल कुछ देर पुरवा हवा के चलने से यह पारा 1-2 डिग्री ऊपर खिसका, मगर ठंडक कम नहीं हुई। मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, वाराणसी का अधिकतम पारा आज सामान्य से 8 डिग्री कम है। जबकि, जनवरी महीने का औसत अधिकतम तापमान का औसत 22 डिग्री सेल्सियस है। आज घट गया कोहरा और प्रदूषण: वाराणसी में आज हल्का कोहरा छाया है। शहरों में विजिबिलिटी 500 मीटर और गांवों में 200 मीटर तक दर्ज की गई। वहीं, वाराणसी का एयर क्वालिटी इंडेक्स काफी ठीक हो गया है। यह महज 74 अंक दर्ज किया गया। आज कोहरा कम है इसलिए शहर की हवा थोड़ी राहत देने वाली है।
कड़कड़ाती ठंड में निगम के अलाव ठंडे
वाराणसी(काशीवार्ता)। लाखों रूपये प्रतिमाह खर्च कर पूरे शहर में लगभग दो सौ स्थानों पर नगर निगम अलाव जलवाता है किंतु वे कागजों पर ही जलाये जाते हैं। प्रशासनिक दुर्व्यवस्था के कारण कुछ सड़कों व चौराहों पर पड़ी अधजली लकड़ियां खुद ब खुद इनकी करतूत बयां करती हैं। शहर में समय से अलाव जलाने के लिये नगर निगम ने पहली बार जोनल अधिकारियों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी हैं। जिसमें इनके राजस्व निरीक्षकों को अपने सामने अलाव जलवाने को कहा गया है। उन्हें उन चौराहों पर जहां अलाव जल रहें हैं, वहां जाकर देखना है कि कितनी लकड़िया गिर रही हैं। साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि उन्हें पूरी तरह जलाने की क्या व्यवस्था की गई है। हांलाकि स्थिति ठीक इसके विपरीत है। वर्तमान में उद्यान विभाग के कर्मचारी निर्धारित स्थानों पर लकड़ियां तो गिराते हैं। उसमें डीजल डालकर आग लगाते हैं फिर आगे जाते हैं। अब इसका दूसरा पहलू यह है कि ये गीली लकड़ियां होती हैं जब तक डीजल जमीन पर पड़ा रहता है, कि तब तक लकड़ी जलती है। डीजल खत्म होते ही आग बुझ जाती है। उसके बाद यह लकड़ियां दिन भर सड़कों पर पड़ी रहती हैं। कुछ देर बार आस-पास के लोग उसे उठा ले जाते हैं।
तीर्थयात्री की ठंड से हुई मौत
दशाश्वमेध (गोदौलिया) क्षेत्र में ठंड लगने से बीमार हुए वृद्ध की मंडलीय अस्पताल कबीर चौरा में उपचार के दौरान आज सुबह मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक चेन्नई नेहरू कालोनी पजहवंथगई निवासी सुगुमार 72 वर्ष को दो दिन पूर्व नागरिकों ने ठंड लगने से बीमारी की दशा में भर्ती कराया था। आज उसकी मौत के उपरांत शव को पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए भेजा।