नई दिल्ली: भय बिन होए न प्रीत. गलवान के बाद पैंगोंग में भारत के पराक्रमी प्रहार से हैरान चीन का अहंकार टूटता नजर आने लगा है.
यह उसके पिछले ये 24 घंटे में चीन के 5 बयानों से साफ हो जाता है. भारत की जिस ज़मीन पर चीन कब्जा करना चाहता है. अब वही चीन डर कर ये सफाई दे रहा है कि उसने तो कभी भी दूसरे देश की एक इंच ज़मीन पर कब्जा नहीं किया है. चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि द्विपक्षीय रिश्ते और शांति के लिए दोनों पक्ष ज़रूरी कदम उठाएं. उसके विदेश मंत्री वांग यी ने बयान दिया कि चीन सीमा पर शांति के लिए प्रतिबद्ध और उसकी ओर से कभी हालात ख़राब नहीं होंगे.
वहीं भारत में चीन के दूतावास ने बयान जारी कर कहा है कि भारत ने चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन किया है. चीन की सेना ने बयान जारी कर कहा है कि भारत की सेना ने LAC पार की है. इसलिए तनाव घटाने के लिए भारतीय सेना फौरन वापस लौट जाए. चीन के विदेश मंत्रालय ने एक ओर बयान जारी कर कहा है कि सीमा विवाद पर भारत-चीन में बातचीत जारी है.
लेकिन बातचीत के ढोंग के बीच चीन लगातार जंग की तैयारियों में भी जुटा हुआ है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारतीय सेना का पराक्रमी ‘प्रहार’ चीन के ‘अहंकार’ की दीवार तोड़ेगा? क्या गलवान-पैंगोंग केवल झांकी हैं और अंतिम रण अभी बाक़ी है? क्या चीन ‘टाइमपास’के पीछे जंग की तैयारी कर रहा है? क्या दक्षिण पैगोंग में भारत के पराक्रम के बाद चीन ‘डर’ रहा है या नया ‘मौक़ा’ ढूंढ रहा है? क्या चीन अपने पड़ोसी भारत से युद्ध के ‘अंतरराष्ट्रीय रिस्क’ लेने जा रहा है?
बता दें कि भारतीय सेना ने 30-31 अगस्त की रात चीनी सेना का चाल विफल करते हुए पैंगोंग लेक के पास ब्लैक टॉप पोस्ट पर नियंत्रण कर लिया है. भारतीय सेना ने वहां लगे चीन के कैमरे और सर्विलांस सिस्टम को भी हटा दिया है. इसके बाद से रेकिन ला इलाके में भारत-चीन के टैंक फायरिंग रेंज में आमने-सामने आ गए हैं. भारतीय सेना की कार्रवाई से हैरान चीन कभी बातचीत तो कभी जवाबी हमले की धमकी देने में लगा है. लेकिन भारतीय उसकी धमकियों से अडिग होकर देश की सीमाओं की सुरक्षा में जुटी है.