(रत्नेश राय)
वाराणसी (काशीवार्ता)। मूल स्वरूप को कायम रखते हुए क्योटो की तर्ज पर काशी को विकसित करने की मुहिम अब धीरे-धीरे रंग लाने लगी है। जापान की मियावाकी तकनीक से वाराणसी के उंदी गांव में प्रकृति प्रेमियों के लिए जंगल विकसित होगा,जिससे प्रकृति प्रेमियों को अब अपने ही शहर में जंगल का भरपूर आनंद मिल पाएगा । वेट लैंड विकसित करने के साथ मियावाकी तकनीक से जंगल बसाया जायेगा। जिससे पर्यावरण संरक्षण को मदद मिलेगी और ईको टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा।
वाराणसी मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर उंदी गांव में पर्यावरण पर्यटन के लिए जंगल विकसित किये जाने की योजना पर योगी सरकार अब तेजी से काम कर रही है। जापान की मियावाकी तकनीक का इस्तेमाल इस नेचुरल फारेस्ट को बनाने में किया जाएगा। इस क्षेत्र को अतिक्रमण से मुक्त रखे जाने के साथ पर्यावरण संरक्षण बनाए रखने के लिए वेट लैंड (वाटर बॉडी) कम फारेस्ट के रूप में विकसित किया जाएगा। अब धर्म व अध्यात्म की नगरी काशी में पर्यटक नैसर्गिक जंगल का भी मजा ले पाएंगे।
वाराणसी विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष ईशा दुहन ने बताया कि इसके लिए विकास प्राधिकरण ने प्रस्ताव बनाकर पर्यटन विभाग के पास भेजा है। प्रस्तावित वन क्षेत्र वाराणसी से जौनपुर मुख्य मार्ग से गाजीपुर रोड वाली रिंग रोड बाईपास से करीब 6 किलोमीटर दूर है। उंदी गांव के इस क्षेत्र के करीब 36.225 हेक्टेयर में नेचुरल फारेस्ट विकसित किया जायेगा, जिसकी लगभग 4.3 किलोमीटर की फेंसिंग का काम शुरू हो चुका है, जो जुलाई तक पूरा हो जाएगा। वाराणसी में नेचर लवर्स के लिए ईको टूरिज्म या अल्टरनेटिव टूरिज्म के लिए ये पहली जगह होगी। जो जापान की मियावाकी तकनीक पर आधारित होगी व पर्यावरण संरक्षण में काफी मददगार साबित होगी। उन्होंने इसकी खासियत बताते हुए कहा कि बांस के वृक्षों कि नेचुरल फेंसिंग के बीच जंगल का प्राकृतिक रूप ऐसा होगा कि आप प्रकृतिक सौन्दर्य का पूरा आनंद ले पाएंगे। पहले से मौजूद करीब 5 से 6 तालाबों को विकसित किया जा रहा है। जहाँ पर्यटकों को प्रवासी पक्षियों की चहक सुनाई देगी। साईकिलिंग के लिए ट्रैक,पैदल पथ,वैटलैंड, बर्ड डाइवर्सिटी जोन, यहाँ लकड़ी के पुल से आप प्राकृतिक झीलों के साथ लोटस पॉण्ड व पुष्प तालाब पार कर सकेंगे। जहाँ कई किस्म के फूल के सुगंध ले सकेंगे। पुष्पों की एक बड़ी वाटिका होगी जहाँ सभी किस्म के फूलों की सुंगंध बिखरेगी । हर्बल गार्डन होगा। इसके अलावा गजिबो होगा, प्रकृति के गोद में वाच टावर पर बैठकर आप जंगल का नजारा भी देख सकेंगे, बर्ड वाचिंग पाइंट होगा। नेचर फोटोग्राफी करने वालों के लिए ये जगह वरदान साबित होगी। पर्यटक घने जंगल के बीच चिड़ियों के चहक के साथ बोटिंग का लुफ़्त ले सकेंगे। पर्यटकों को योग करने के लिए एक खास जगह होगी, प्रकाश के सोलर एनर्जी का प्रयोग किया जायेगा, फूड कोर्ट में लोग काशी के लजीज व्यंजनो का लुफ़्त ले सकेंगे। योगी सरकार काशी में पर्यटन स्थलों को इस तरह से विकसित करने में जुटी है जिससे दुनिया भर से आने वाले पर्यटकों को काशी में सात दिनों तक रोका जा सके। ये प्राकृतिक पर्यटन स्थल इसमें मददगार साबित होगा।