एनटीपीसी की नीति से विस्थापित आक्रोशित


शक्तिनगर (सोनभद्र)काशीवार्ता। एनटीपीसी सिंगरौली परियोजना के 860 मेगावाट की दो सुपरक्रिटिकल यूनिट की स्थापना की कवायद विगत कई वर्षों से चल रही है पर परियोजना की अधिग्रहित भूमि पर अवैध कब्जा के कारण उसे क्रियान्वित नहीं करवाया जा रहा है। परियोजना की अधिग्रहित भूमि पर अवैध बस्ती भवानी नगर को हटाए जाने के साथ-साथ भवानी नगर के अतिक्रमणकारियों को प्लाट आवंटित किए जाने की चर्चा आम है। कुछ दिनों पूर्व अवैध बस्ती राजकिशन में खुटा डंडा बांस बल्ली गाड़ कर अपना अपना प्लाट सुनिश्चित करने की अतिक्रमणकारियों में होड़ मची थी।वहीं अवैध कब्जाधारियों को प्लाट आवंटन पर विस्थापितों में भारी आक्रोश है कई विस्थापित परिवारों का कहना है कि चार दशक पूर्व परियोजना द्वारा जमीन का अधिग्रहण किया गया था खाली जमीन पर बड़े पैमाने पर अवैध कब्जा कराया गया हैं। वहीं आज तक कई विस्थापित परिवारों को प्लाट का आवंटन नहीं किया गया है ।

विस्थापित दिव्यांग राम शुभम शुक्ला का कहना है कि एनटीपीसी सिंगरौली परियोजना निर्माण के लिए पूर्व के गांव रानीबारी में 1977 में मेरा घर अधिग्रहण किया गया था, तब से लेकर अब तक लगातार संघर्ष करता चला आ रहा हूं पर अब तक मुझे प्लॉट का आवंटन नहीं किया गया। वहीं अब परियोजना की मिलीभगत से अतिक्रमणकारियों को प्लाट का आवंटन किया जा रहा है।

परियोजना के ही विस्थापित लालजी कुशवाहा का कहना है कि एनटीपीसी सिंगरौली परियोजना निर्माण के लिए मेरा खेत, जमीन, कुआं, बगीचा का अधिग्रहण किया गया था जिसका कागज भी मेरे पास उपलब्ध है पर अपने आशियाना प्लाट के लिए जब अधिकारियों से मांग की जाती है तो अधिकारियों द्वारा डांट कर भगा दिया जाता है। ऐसे में गैर पात्रों को प्लॉट का आवंटन उचित नहीं है। समाजसेवी एवं विस्थापित प्रतिनिधि संत कुमार गुप्ता उर्फ बबलू प्रधान का कहना है कि कई ऐसे परिवार हैं जिनको परियोजना निर्माण काल में प्लॉट का आवंटन नहीं हुआ है। उनके प्लाट का आवंटन प्राथमिकता के साथ किया जाना चाकएि। उनकी मांग पर परियोजना को विचार करना चाहिए। ऐसा ही आरोप विस्थापित परिवार के सदस्य एवं युवा नेता आनंद पांडे ने भी लगाया है।


विस्थापितों ने चेतावनी दी है कि अगर परियोजना प्रबंधन द्वारा है ऐसा किया जाता रहा तो विस्थापित जन आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। एक और प्रदेश सरकार सरकारी भूमियों को अतिक्रमण मुक्त करा रही हो तो दूसरी ओर एनटीपीसी परियोजना प्रबंधन अतिक्रमणकारियों को अतिक्रमण के लिए बढ़ावा दे रहा है, जिसकी सर्वत्र चर्चा हैं।