ओबरा विधानसभा में युवा दे रहे विकास-रोजगार को तरजीह


ओबरा। ओबरा विधानसभा चुनाव में मतदान की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है सियासी पारा भी चढ़ता जा रहा है। करीब करीब सभी दलों के घोषित प्रत्याशी एवं निर्दल ने अपना नामांकन करने के बाद प्रतिदिन समर्थकों के साथ मतदाताओं से घर-घर एवं चट्टी चौराहों की दुकानों पर सम्पर्क कर आशीर्वाद के साथ अपनी जीत पक्की करने लिए जनता जनार्दन से वोट अपने पक्ष में देने के लिए समर्थन मांग रहें। वहीं वोटर सभी दलों के प्रत्याशियों के चाल-चरित्र व जनहित में किये गये कार्यों का आंकलन कर रहे हैं। काशीवार्ता के रिपोर्टर ने सात मार्च को होने वाले मतदान के सम्बन्ध में जब मतदाताओं का मूड जानना चाहा तो ज्यादातर वोटरों ने भाजपा -सपा के बीच कड़ी टक्कर की बात कही। तो कहीं-कही पर ग्रामीण वोटरों ने बसपा, कांग्रेस के पक्ष में मतदान की बात कर रहे। वे चट्टी चौराहों पर इन दिनों राजनीतिक चचार्एं आम है। कोई खनन व्यवसाय तो कोई रोजगार की बात रहा है और तो कोई पांच साल में मिली सुविधाएँ गिना रहा है। इस सबके बावजूद जातिगत समीकरण और जातियों के अंतर्विरोध भी अंतिम फैसले में निर्णायक साबित हो सकते हैं। प्रदेश में बैठे राजनीतिज्ञों और विश्लेषकों के गुणा भाग चाहे जो हो लेकिन चोपन शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के मतदाता मुख्य लड़ाई भाजपा, सपा व बसपा के बीच मान रहे है। यह भी सच है कि लोगों को मोदी मैजिक तो मुख्यमंत्री योगी के काम करने का अंदाज पसन्द आ रहा है। वहीं कुछ लोगों को सपा मुखिया अखिलेश यादवकी सकरार का कार्यकाल पसन्द आ रहा हैं।सपा ने सुनील सिंह गोड़ तो भाजपा ने काफी मंथन के बाद वर्तमान विधायक संजीव गौड़,बसपा ने सुभाष खरवार को ओबरा विधानसभा से चुनाव मैदान में उतारा है । वहीं कांग्रेस से रामराज को मैदान में उतारा हैं।चोपन ब्लाक के शहरी व ग्रामीण युवाओं से बात की गई तो अधिकांश ने जाति धर्म से ऊपर उठकर शिक्षा चिकित्सा कानून व्यवस्था एवं विकास और रोजगार के साथ सभी वर्गों के लिए काम करने वाले दल के प्रत्याशी को वोट देने की बात कही।अब देखना यह हैं कि सात मार्च को जनता जनार्दन अपना अमूल्य मत देकर दस मार्च को जीत का ताज किसे पहनाती है।