औपनिवेशिक अतीत से दूर…नवीन सूर्य की नई प्रभा, नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा…PM मोदी का ये बड़ा कदम इतिहास में हो गया दर्ज


नवीन सूर्य की नई प्रभा, 

नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा

भारतीय नौसेना को अपने पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत के साथ ही नया निशान मिल गया। नौसेना का निशान दरअसल, नेवी का वह झंडा है जो नेवी के सभी युद्धपोतों में, ग्राउंड स्टेशन और नेवल के साथ ही एयरबेस पर लगाया जाता है। प्रधानमंत्री निशान नरेंद्र मोदी ने 2 सितंबर को नौसेना के नए निशान का अनावरण किया। पीएम मोदी ने इस दौरान कवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता भी पढ़ी। नौसेना के झंडे में मौजूद क्रॉस को हया दिया गया, जो ब्रिटिश काल का प्रतीक है। बता दें कि प्रधानमंत्री ने लाल किले से देश के नाम संबोधन में कहा था कि हमें गुलामी के हर प्रतीक से मुक्ति पानी चाहिए। नौसेना से इसकी शुरुआत हो रही है। ये चौथी बार होगा जब भारतीय नौसेना के निशान में बदलाव किया गया है। पहली बार 1950 मे निशान में बदलाव किया गया था।

नौसैनिक ध्वज क्या है?

सीधे शब्दों में कहें तो नौसेना ध्वज वो ध्वज है जो नौसेना के युद्धपोतों, ग्राउंड स्टेशनों और नौसेना के हवाई अड्डों सहित सभी नौसैनिक प्रतिष्ठानों के ऊपर फहराया जाता है। प्रत्येक देश की नौसेना का अपना पताका या ध्वज होता है। अमेरिकी नौसेना का पताका राष्ट्रीय ध्वज के समान है, लेकिन कई अन्य नौसेनाओं के पास विशिष्ट नौसैनिक ध्वज हैं जो उनके युद्ध जहाजों द्वारा लगाए जाते हैं।

भारत का नौसैनिक ध्वज

भारतीय नौसेना का उद्गम औपनिवेशिक काल से है। भारतीय नौसेना की वेबसाइट के अनुसार 2 अक्टूबर 1934 को नौसेना सेवा का नाम बदलकर रॉयल इंडियन नेवी कर दिया गया, जिसका मुख्यालय बॉम्बे (अब मुंबई) में है। 1950 में जब भारत एक गणतंत्र बना, तो ‘रॉयल’ उपसर्ग हटा दिया गया और इसे भारतीय नौसेना का नाम मिला। 26 जनवरी 1950 को इनमें भारतीयकरण के लिहाज से बदलाव किया गया। भारतीय नौसना के चिन्ह समेत झंडा बदला गया और यूनियन जैक की जगह भारतीय तिरंगे को स्थान दिया गया। इस बदलाव में भी सेंट जॉर्ट क्रॉस को रहने दिया गया। नौसेना के झंडे में मौजूद क्रॉस ब्रिटिश काल का प्रतीक है। अधिकारियों ने बताया कि 2001 और 2004 के बीच अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान ध्वज से क्रॉस चिन्ह हटा दिया गया था। उस वक्त सेंट जॉर्ज क्रॉस की जगह झंडे के बीच में नौसेना का प्रतीक चिन्ह रखा गया था। इसमें भी तिरंगा बाएं तरफ सबसे ऊपर था। लेकिन सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली यूपीए ने सत्ता में वापस आने के बाद इसे फिर से वापस ला दिया। 2004 में सेंट जॉर्ज क्रॉस को फिर से इसमें स्थान मिल गया। 2014 में अशोक चक्र के नीचे देवनागरी लिपि में राष्ट्रीय आदर्श वाक्य “सत्यमेव जयते” को शामिल किया गया।

अब क्या बदलाव?

नए नौसैनिक ध्वज से क्रॉस हो हटा दिया गया। भारतीय नौसेना को आज नया एन्साइन (निशान) दिया गया है, जो कि छत्रपति शिवाजी महाराज की मुहर से लिया गया है। शिवाजी महाराज को भारतीय नौसेना का जनक भी कहा जाता है। जिस पर अशोक चिह्न बना है, वो असल में छत्रपति शिवाजी महाराज की शाही मुहर है। नए फ्लैग में नीचे संस्कृत भाषा में ‘शं नो वरुणः’ लिखा है। इसका अर्थ है ‘हमारे लिए वरुण शुभ हों’।

सेंट जॉर्ज के क्रॉस से किनारा करने वाला भारत अकेला नहीं

अधिकांश राष्ट्रमंडल देशों में नौसैनिक ध्वज के हिस्से के रूप में इंग्लैंड के सेंट जॉर्ज का क्रॉस था। हालाँकि, कई देशों ने अपने औपनिवेशिक अतीत को मिटाने के लिए इससे किनारा कर लिया। भारत भी अब दूसरे देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा के साथ सेंट जॉर्ज के क्रॉस को हटाने वाले देशों की लिस्ट में शामिल हो गया। भारत से पहले कनाडा ने 2013 में अपने नौसैनिक ध्वज को बदल दिया, जबकि ऑस्ट्रेलिया ने 1967 में अपनी नौसेना बदल दी। न्यूजीलैंड की नौसेना ने भी 1968 में जॉर्ज क्रॉस को हटा दिया था।