(राजेश राय)
वाराणसी (काशीवार्ता)। शहर के प्रमुख नालों की सफाई का काम शुरू हो गया है, 15 जून तक यह काम पूरा कर लेना है। मौसम विभाग के अनुसार 15 जून तक मानसून पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर जाता है। नाले की सफाई का कार्य हर साल होता है, इसमें लाखों रुपये खर्च भी होते हैं। इसके लिये नगर निगम टेंडर निकालता है, फिर ठेकेदार युवाओं की टीम बना कर जगह-जगह नाले की सफाई करवाता है। सफाई कार्य में लगे ज्यादार युवा 20 से 25 साल के होते हैं। इन्हें मात्र 420 रुपये प्रतिदिन की दिहाड़ी मिलती है। इतनी कम दिहाड़ी में ये युवा नाले में घुस कर गले तक के सीवर के पानी से मलवा निकालते है। वैसे तो सड़कों के किनारे अलग से सीवर लाइन पड़ी हुई है और घरों का सीवर उसी लाइन से जुड़ा होना चाहिये, लेकिन हकीकत कुछ और है। ज्यादातर घरों का सीवर इसी नाले में गिरता है। इसमें किचेन के कचरे से लेकर मलमूत्र तक शामिल है। पहले सिर पर मैला ढोने की परंपरा थी। इसमें ज्यादातर भंगी समुदाय के लोग जुड़े हुए थे। बाद में सरकार ने सिर पर मैला ढोने की कुप्रथा को अमानवीय करार देते हुए इस पर रोक लगा दी। सिर पर मैला ढोने की प्रथा पर भले ही रोक लगा दी गयी हो पर यह अभी भी किसी न किसी रूप में हमारे आपके बीच मौजूद है। नाले की सफाई भी इसी का एक रूप है। नाले में गले तक सीवर के पानी में डूब कर बाल्टी के जरिये मलवा निकलना, उसी भंगी परम्परा का दूसरा रूप है। विज्ञान ने काफी तरक्की कर ली है। नाले और सीवर की सफाई की तमाम मशीनें भी विकसित हो चुकी हैं, इसके बाउजूद अभी भी सशरीर नाले की सफाई पूरे सिस्टम पर सवालिया निशान खड़ी करती है। यह भी जानने योग्य बात है कि आखिर इस नाले से निकलता क्या है..? तो आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मलवे में ज्यादातर प्लास्टिक की बोतलें और अन्य सामान होते है, जो नाले में इकट्ठा रहते हैं। वैसे तो ज्यादातर जगहों पर ये नाले ढक दिये गए हैं फिर भी कई स्थानों पर खुले हैं, जिनसे ये व्यर्थ वस्तुएं नालों में प्रवेश कर जाते हैं। जब इस रिपोर्टर ने नाले की सफाई कर रहे एक युवक से उसकी पढ़ाई-लिखाई के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसने बचपन में ही स्कूल छोड़ दिया था। वह केवल दस्तखत बना सकता है। विदित हो कि पिछले दिनों नालों और मेनहोल की सफाई के दौरान कई युवाओं की जहरीला गैस से जान जा चुकी है फिर भी अपना और परिवार का पेट पालने के लिये वे इस नारकीय काम को करने पर मजबूर हैं।
मलवा निकालने के बाद खुला
छोड़ दिया नाला
वाराणसी। नगर निगम ने बरसात के पहले शहर के प्रमुख नालों की सफाई का अभियान चलाया है। इसी क्रम में टेंडर निकला और ठेकेदार को सफाई का ठेका मिला, लेकिन अफसोस नाले की सफाई के काम मे एक बार फिर घोर लापरवाही सामने आयी है। रविवार को सिगरा में बड़े नाले की सफाई के बाद ठेकेदार के आदमी नाले के ढक्कन को खुला छोड़ कर चलते बने। सोमवार को जब क्षेत्र की दुकानें खुली तो दुकानदार यह देखकर हैरान रह गए कि दुकानों और घरों के आगे मेनहोल के ढक्कन खुले पड़े हैं। यह किसी भी वक़्त बड़े हादसे का सबब बन सकता है।