वाराणसी (काशीवार्ता)। कोरोना की दूसरी लहर लगभग समाप्त होने को है। अब तीसरी लहर की संभावना व्यक्त की जा रही है। बावजूद इसके भोजूबीर स्थित आलोक हॉस्पिटल के निदेशक ने बतौर चिकित्सक कोरोना मरीजों की सेवा का जो प्रण किया वो आज भी उनके अंदर जिंदा है। डॉ.आलोक ने अपने चिकित्सालय में कोरोना पीड़ितों की ही मदद नहीं की बल्कि मरीजों के साथ आये उनके परिजनों का भी भरपूर ध्यान रखा।
आलोक हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. आलोक सिंह ने कोरोना काल के अपने अनुभवों को साझा करते हुए ‘काशीवार्ता’ से बताया कि जिला प्रशासन ने 8 अप्रैल को कोरोना मरीजों के इलाज हेतु अस्पताल को नामित किया।इसके उपरांत एक माह तक लगभग सौ मरीजों को मेरे यहाँ भर्ती कर उनका इलाज किया गया। इस दौरान पूर्वांचल, बिहार, प्रयागराज से आये मरीजों में 6 को छोड़कर सभी मरीज स्वस्थ होकर अपने घरों को वापस गये। कोविडकाल में मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के संकल्प के साथ सभी कर्मी अस्पताल परिसर में ही रहे और 8-8 घंटे के शिफ्ट में कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए अपनी सेवाएं देते रहे। इसी दौरान एक मुस्लिम महिला का जन्मदिन होने पर सभी ने अस्पताल परिसर में ही उसका जन्मदिन मनाया गया ताकि मरीजों को यहाँ पारिवारिक माहौल का अनुभव हो सके। लखनऊ के भर्ती एक मरीज ने स्वस्थ होने के उपरांत घर पहुंचकर मेरा एक स्केच बनाकर डाक द्वारा भेजा। मरीजों को घर का वातावरण मिले इसके लिए अस्पताल परिसर में ही उनके नाश्ते-खाने की व्यवस्था के साथ ही काढ़ा भी दिया जाता रहा। डॉ. आलोक ने बताया कि इस बीच अस्पताल का कुक संक्रमित हो गया तो किचेन की कमान मुझे स्वयं संभालनी पड़ी। मैंने अस्पताल कर्मियों संग मिलकर उनके लिए नाश्ता व खाना बनाया। शेष पृष्ठ 7 पर… डॉ.आलोक ने कहा कि इलाज के साथ-साथ मरीजों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए उनके साथ योग भी किया। कोरोना की दूसरी लहर जब अपने चरम पर थी और अस्पतालों में बेड व आक्सीजन की मारामारी थी तब भी हमने मरीजों के लिए उपचार की व्यवस्था की। डॉ.आलोक ने कहा कि हमारे यहाँ इस दौरान आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को नि:शुल्क परामर्श व दवा उपलब्ध कराने के साथ ही आवश्यक हुआ तो भर्ती कर उनका इलाज भी किया गया। तीसरी लहर में यदि जिला प्रशासन द्वारा कोविड मरीजों का इलाज करने की अनुमति दी जाएगी तो हम एक बार फिरबेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे।