वाराणसी(काशीवार्ता)। पूर्वांचल के साथ ही उत्तर प्रदेश सहित समीपवर्ती प्रदेशों के प्रमुख उद्यमी आरके चौधरी (पूरा नाम रमेश कुमार चौधरी) का नाम आज किसी परिचय का मोहताज नहीं। वर्ष 1969 में केराकत (जौनपुर) में कपड़े का छोटा सा व्यवसाय शुरू कर पूर्वांचल के उद्यमियों की अग्रिम पंक्ति में खड़े होना उनके लिए कोई आसान काम नही था। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और कर्म पथ पर डटे रहें। श्री चौधरी इन दिनों स्टील,
कागज एवं पैकेजिंग की कई यूनिट का सफलतापूर्वक संचालन कर रहे हैं। केराकत से वाराणसी आकर उन्होंने वर्ष 1983 में रामनगर औद्योगिक क्षेत्र में लघु उद्योग पैकेजिंग प्लांट लगाया। कर्मठता, ईमानदारी एवं सर्वहित की कामना के बूते शुरू हुआ उनके विकास का सफर आज भी जारी है। वो आज भी उसी जोश के साथ अपना काम करते हैं जैसा 1969 में। उद्योग के साथ ही सामाजिक सरोकार से आप सदैव जुडेÞ रहे। विभिन्न सामाजिक संस्थाओं में पदाधिकारी होने के साथ ही रेलवे, एयरपोर्ट समिति के सलाहकार पद पर आसीन रहे। श्री चौधरी में छिपी उद्यमी मानसिकता का ही परिणाम है कि व्यवसाय शुरू करने के कुछ वर्षों बाद ही इनके उत्पादों ने इन्हें पूर्वांचल के प्रमुख उद्यमी की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया।
समाज के अंतिम व्यक्ति की पीड़ा के अहसास के चलते ही उन्होंने कोरोना काल में अपने व्यक्तिगत स्रोतों से बड़ी राहत दी। उस दौरान जब कोरोना मरीजों के लिए आक्सीजन की कमी हो गई थी।तब उन्होंने पं. दीनदयाल अस्पताल में एक करोड़ रुपये की धनराशि देकर एक बड़ा आक्सीजन प्लांट लगवाया। यही नहीं काशी की संस्कृति को अक्षुण बनाये रखने में सदैव इनका योगदान रहा है।
श्री चौधरी का मानना है कि समाज के लिए जो भी संभव है, उसे जरूर करना चाहिए। व्यवसाय में कर्मठता व पारदर्शिता ही सफलता का मूल मंत्र है। उनका मानना है कि एक उद्यमी के समक्ष तमाम चुनौतियां होती है लेकिन उससे मुंह मोड़ने या हार मानने की बजाय मजबूती से उसका सामना करते हुए एक कर्मयोगी की तरह उद्योग बढ़ाने के लिए सचेष्ट रहना चाहिए।
परिवार भी देता है बिजनेस में पूरा साथ
इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आर के चौधरी व्यवसाय के साथ ही परिवार से भी संपन्न है। पत्नी सुमन चौधरी एवं उनके बेटे गौतम व अमित व्यवसाय में सक्रिय रहते हुए सदैव उन्हें संबल देते हैं। बहू निधि व प्रीतू भी समय-समय पर व्यवसाय हित के लिए कटिबद्ध रहती हैं। कहने का मतलब बिजनेस के साथ ही आप पूरे परिवार को भी साथ लेकर चलते हैं। आपका मानना है कि परिवार से संबल मिलता है, उसका जीवन पर काफी प्रभाव पड़ता है।