बिलावल भुट्टो ज़रदारी और मरियम नवाज़
पाकिस्तान में इस हफ़्ते एक अजीब तरह की घटना को लेकर सियासत गरमा गई है. ये ऐसी घटना है, जिसमें हमेशा की तरह मंच पर सत्ता पक्ष-विपक्ष के नेता और फ़ौजी तो दिख ही रहे हैं, इस बार मैदान में पुलिस भी उतर आई है.
घटना को अजीब इसलिए कहा जा सकता है, क्योंकि पाकिस्तान के इतिहास में शायद ये पहली बार है, जब ऐसा आरोप लगा है कि पुलिस के एक बड़े अफ़सर को ही ‘अग़वा’ कर लिया गया और उनसे ज़बरदस्ती एक नेता को गिरफ़्तार करवाने के लिए दस्तख़त करवाए गए.
और वो नेता थे पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के दामाद और रिटायर्ड फ़ौजी कैप्टन मोहम्मद सफ़दर.
पुलिस वालों ने इसे अपनी इज़्ज़त का मामला बना लिया और फिर अफ़सर और उनके एक दर्जन से ज़्यादा दूसरे अफ़सरों ने दो महीने के लिए छुट्टी पर जाने की दरख़्वास्त डाल दी.
फिर मामले में सेना ने दख़ल दिया और सेना प्रमुख ने मामले की फ़ौरन जाँच कराने का आदेश जारी किया.
इसके बाद पुलिस अफ़सरों ने अपनी छुट्टी की अर्ज़ी को और 10 दिन के लिए टाल दिया है.
इस मामले को लेकर अब सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ गए हैं. हालाँकि, दोनों के बीच टकराव इस घटना से कुछ समय पहले ही शुरू हो गया था और इस हफ़्ते जो भी हुआ वो उसी की एक कड़ी है.
पाकिस्तान में विपक्ष ने महँगाई, बिजली नहीं रहने और दूसरे आर्थिक मुद्दों को लेकर इमरान ख़ान सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. वहाँ विपक्षी दलों ने मिलकर पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) नाम का एक गठबंधन बनाया है.
इसमें चार बड़ी पार्टियों पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़), पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी, जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (फ़ज़लुर) और पख़्तूनख़्वाह मिल्ली अवामी पार्टी के अलावा बलोच नेशनल पार्टी और पख़्तून तहफ़्फ़ुज़ मूवमेंट जैसी छोटी पार्टियाँ भी शामिल हैं.
पीडीएम ने सरकार पर हमला बोलते हुए इस महीने दो रैलियाँ कीं. 16 अक्तूबर को पंजाब के गुजरांवाला में और 18 अक्तूबर को सिंध की राजधानी कराची में. और दूसरी रैली के अगले ही दिन एक दूसरा मामला शुरू हो गया.नवाज़ शरीफ़ के दामाद कैप्टन (रि.) मोहम्मद सफ़दर
19 अक्तूबर को क्या हुआ?
18 अक्तूबर को रैली हुई और उसके अगले ही दिन मुँह अंधेरे नवाज़ शरीफ़ के दामाद कैप्टन (रि.) मोहम्मद सफ़दर को पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की मज़ार का अनादर करने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया.
उन्हें बाद में ज़मानत पर छोड़ दिया गया और शाम को वो लाहौर लौट आए.
मोहम्मद सफ़दर रैली वाले दिन यानी 18 अक्तूबर को कराची में अपनी पत्नी मरियम और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मोहम्मद अली ज़िन्ना की मज़ार पर गए थे और वहाँ उन्होंने घेरे के भीतर जाकर जिन्ना की क़ब्र के पास नारे लगाए थे. इसी वजह से उन्हें अगले दिन गिरफ़्तार कर लिया गया.
नवाज़ शरीफ़ की बेटी मरियम नवाज़ और विपक्षी पार्टियाँ इस गिरफ़्तारी को राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रही हैं और उनका दावा है कि गिरफ़्तारी भले पुलिस ने की, लेकिन इसमें पाकिस्तानी अर्धसैनिक बल रेंजर्स का हाथ है.
मरियम नवाज़ ने आरोप लगाया कि कराची के जिस होटल में वो और उनके पति ठहरे थे, वहाँ पुलिस उनके कमरे की कुंडी तोड़ भीतर चली आई और तब वो लोग सो रहे थे.
मरियम नवाज़ ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, “हम सो रहे थे जब बहुत सुबह मुझे लगा कि कोई किसी का दरवाज़ा पीट रहा है, मैंने अपने पति को उठाया और कहा कि ये आवाज़ हमारे ही दरवाज़े से आ रही है. सफ़दर ने दरवाज़ा खोला तो वहाँ पुलिसवाले थे जिन्होंने कहा कि वो उन्हें गिरफ़्तार करने आए हैं. सफ़दर ने कहा कि वो कपड़े बदलकर और अपनी दवा लेकर आ रहे हैं, लेकिन वो नहीं माने और दरवाज़ा तोड़ भीतर चले आए.”
मरियम नवाज़ और लंदन में इलाज करवा रहे उनके पिता नवाज़ शरीफ़ ने ये भी आरोप लगाया है कि “सिंध के पुलिस महानिरीक्षक को अग़वा कर उनसे ज़बरदस्ती गिरफ़्तारी आदेश पर दस्तख़त करवाया गया.”
पाकिस्तान के एक पत्रकार ने पीएमएल(एन) के एक वरिष्ठ नेता मुहम्मद ज़ुबैर का एक कथित ऑडियो क्लिप ट्वीट किया, जिसमें वो ये कहते सुने गए कि उन्हें सिंध के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह ने बताया कि सिंध के आईजी ने जब गिरफ़्तार करने से मना कर दिया तो रेंजर्स उन्हें सुबह चार बजे अग़वा कर सेक्टर कमांडर के दफ़्तर ले गए, जहाँ अतिरिक्त आईजी को भी बुलाया गया और उनसे ज़बरन आदेश जारी करवाए गए.”
सिंध में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सरकार है, यानी विपक्ष की ही सरकार है. लेकिन मरियम नवाज़ का कहना है कि उन्हें ज़रा भी संदेह नहीं कि गिरफ़्तारी में पीपीपी का हाथ है, ये घटना विपक्ष में फूट डालने की कोशिश है.
मरियम ने कहा कि सिंध के “पीपीपी प्रमुख बिलावल भुट्टो ने उनसे बात की और वो काफ़ी नाराज़ थे.”
उन्होंने कहा, “सिंध के मुख्यमंत्री ने भी उनसे कहा कि उन्हें ऐसी घटना की ज़रा भी उम्मीद नहीं थी.”
हालाँकि सिंध के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में ये भी कहा कि पुलिस ने “केवल अपना काम किया” और “क़ानून के हिसाब से कार्रवाई की”.
ये भी पढ़िएः-
20 अक्तूबरः पुलिस अधिकारियों का छुट्टी पर जाने का फ़ैसला
नवाज़ शरीफ़ के दामाद की गिरफ़्तारी पर हंगामे के अगले दिन सिंध के कई सीनियर पुलिस अधिकारियों ने लंबी छुट्टी पर जाने का आवेदन डाल दिया. इनमें अतिरिक्त आईजीपी (स्पेशल ब्रांच) इमरान याक़ूब मिन्हास भी शामिल थे.
मीडिया में जारी उनकी छुट्टी की अर्ज़ी में लिखा गया, “कैप्टन (रि.) सफ़दर के ख़िलाफ़ एफ़आईआर के हाल के मामले में पुलिस हाईकमान का ना केवल उपहास किया गया और लापरवाही बरती गई, बल्कि इससे सिंध पुलिस के सभी पुलिसकर्मी हताश और स्तब्ध हैं”.
उन्होंने आगे लिखा कि ऐसी “तनावपूर्ण” स्थिति में उनके लिए पेशेवर तरीक़े से काम करना मुश्किल है और इसलिए वो दो महीने की छुट्टी चाहते हैं.
सिंध के पुलिस अधिकारियों के इस क़दम की काफ़ी चर्चा हुई और सोशल मीडिया पर इसे सिंध पुलिस का एक “कड़ा जवाब” बताया गया.
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने कहा,” मैं सिंध की पुलिस को शाबासी देता हूँ, जिन्होंने ख़ुद्दारी और बहादुरी का सबूत दिया है और इसके ख़िलाफ़ विरोध दिया है और उनका ये क़दम सारे देश को एक राह दिखाता है.”
पुलिस अफ़सरों के छुट्टी पर जाने की बात सामने आने के बाद पीपीपी प्रमुख बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा और आईएसआई के महानिदेशक जनरल फ़ैज़ हमीद से मामले की जाँच करवाने की माँग की.
बिलावल ने कहा कि सिध के मुख्यमंत्री ने घटना की जाँच के आदेश जारी कर दिए हैं और सेना प्रमुख को भी जाँच करवानी चाहिए क्योंकि “ये पुलिस अधिकारियों की प्रतिष्ठा और आत्मसम्मान का मसला है”.जनरल क़मर जावेद बाजवा
बिलावल की प्रेस कॉन्फ़्रेंस ख़त्म होने के थोड़ी ही देर बाद सेना की ओर से एक बयान जारी कर कहा गया कि सेना प्रमुख ने कराची की घटना पर ग़ौर करते हुए, कोर कमांडर कराची को तत्काल इन परिस्थितियों की जाँच रिपोर्ट जल्द-से-जल्द पेश करने का आदेश दिया है.
जनरल बाजवा के जाँच के आदेश के बाद मंगलवार रात को सिंध के पुलिस अधिकारियों ने बिलावल भुट्टो से कराची में मुलाक़ात की और बाद में अपनी छुट्टी पर जाने की तारीख़ को 10 दिनों के लिए टाल दिया.
सिंध पुलिस ने मंगलवार को देर रात ट्वीट किया, “आईजी सिंध ने अपनी छुट्टी को टालने का फ़ैसला किया है और अपने अफ़सरों से भी अपनी छुट्टियों की अर्ज़ी को देश हित में 10 दिन के लिए टालने का आदेश दिया है, जब तक कि जाँच का निर्णय ना आ जाए.”
क्या कह रहे हैं इमरान
इमरान ख़ान ने इस मामले पर अभी कुछ नहीं कहा है. लेकिन उन्होंने विपक्ष की उनकी सरकार के ख़िलाफ़ घेरेबंदी की कोशिश को एक ‘सर्कस’ का नाम दिया है.
पीडीएम की शुक्रवार की रैली के अगले दिन इमरान ख़ान ने इस्लामाबाद में एक सभा में मरियम नवाज़ और बिलावल भुट्टो पर कटाक्ष करते हुए कहा था, “मैं उन दो बच्चों के बारे में बात नहीं करना चाहता जो भाषण देते हैं. और मैं इसलिए नहीं बात करना चाहता क्योंकि कोई भी इंसान तब तक नेता नहीं बनता, जब तक कि उसने संघर्ष ना किया हो. इन दोनों ने अपनी ज़िंदगी में एक घंटे भी हलाल काम नहीं किया है. आज भाषण दे रहे ये दोनों अपने-अपने पिता की हराम की कमाई पर पले हैं. उनके बारे में बात करना बेकार है.”
इसके अगले दिन मरियम नवाज़ ने कराची की रैली में इमरान ख़ान को ये जवाब दिया,”आपने लोकतंत्र की क़ब्र खोदी, पर नवाज़ शरीफ़ ने कभी भी आपका नाम नहीं लिया. आज भी आप चाहते होंगे, पर नवाज़ शरीफ़ आपका नाम नहीं लेंगे, क्योंकि बड़ों की लड़ाई में बच्चों की कोई भूमिका नहीं होती.”
बड़ों से मरियम का इशारा पाकिस्तान की सेना और आईएसआई की ओर था. नवाज़ शरीफ़ ये आरोप लगाते रहे हैं कि उन्हें देश से बाहर करवाने में सेना और आईएसआई का हाथ है और इमरान ख़ान उन्हीं की कठपुतली सरकार है.
नवाज़ शरीफ़ को भ्रष्टाचार के कई मामलों में जुलाई 2018 में 10 साल जेल की सज़ा हुई थी. अगले साल उन्हें इलाज के लिए ज़मानत दे दी गई जिसके बाद से वो लंदन में हैं.