पेगासस और कृषि कानूनों के मुद्दे पर संसद में हंगामा, लोकसभा-राज्यसभा की कार्यवाही सोमवार तक स्थगित


नई दिल्ली। राज्यसभा में विपक्षी दलों के सदस्यों ने पेगासस जासूसी मामले और किसान आंदोलन को लेकर भारी शोरगुल और हंगामा किया, जिससे शून्यकाल और प्रश्नकाल सुचारु रूप से संचालित नहीं हो सके और सदन की कार्यवाही सोमवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। सुबह 11 बजे उप सभापति हरिवंश ने जैसे ही शून्यकाल की घोषणा की वैसे ही कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सदन के बीच में आ गए और नारेबाजी करने लगे। तृणमूल के सदस्य अपने हाथों में प्ले कार्ड लिए हुए थे। इस दौरान वामपंथी दलों, शिरोमणि अकाली दल, राष्ट्रीय जनता दल और शिवसेना के सदस्य अपनी सीटों के निकट खड़े थे। 

हरिवंश ने कहा कि किसान आंदोलन और पेगासस मुद्दे को लेकर नियम 267 के तहत 9 नोटिस दिए गए है। सभापति इन मुद्दों पर पहले ही ध्यानाकर्षण और लघु चर्चा की अनुमति दे चुके हैं। विपक्षी दलों के सदस्यों को संसदीय कार्य मंत्री के साथ बैठक कर समय निर्धारित करना चाहिए। हंगामे के दौरान ही शून्यकाल चलाने का प्रयास किया गया, लेकिन शोरगुल के कारण स्पष्ट रूप से कुछ नहीं सुना जा सका। सदस्यों के हंगामा जारी रखने पर सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। दोबारा जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो पीठासीन अधिकारी सुरेन्द्र सिंह नागर ने घोषणा की कि कार्य मंत्रणा समिति की 1 बजे होने वाली बैठक के समय में परिवर्तन किया गया है और अब यह 12:15 बजे होगी। 

इसके बाद नागर ने प्रश्नकाल की घोषणा करते हुए प्रश्न पूछने के लिए सदस्य का नाम पुकारा लेकिन शोरशराबे के कारण कुछ भी स्पष्ट रूप से सुनायी नहीं दिया। करीब 9 मिनट तक चले प्रश्नकाल के दौरान रेल राज्य मंत्री राव साहब दानवे और कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री शोभा करंदजाले ने सदस्यों के प्रश्नों के उत्तर भी दिए, लेकिन तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस सदस्यों के सदन के बीच में आकर शोरशराबा करने के कारण कुछ भी साफ सुनाई नहीं दिया। विपक्षी सदस्यों का शोरशराबा बढ़ते जाने पर नागर ने सदन की कार्यवाही सोमवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। 

लोकसभा में 7 मिनट के भीतर दो विधेयक पारित, कार्यवाही स्थगित
लोकसभा में भी विपक्ष के हंगामे के बीच 7 मिनट के भीतर दो महत्वपूर्ण विधेयक पारित करा दिए गए और उसके बाद कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। सदन ने विपक्ष के हंगामे के बीच ही कराधान कानून (संशोधन) विधेयक 2021 और केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2021 पारित कर दिया। एक बार के स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे जैसे ही शुरू हुई, पीठासीन अधिकारी राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि विभिन्न दलों ने स्थगन प्रस्ताव दिए हैं, जिन्हें अध्यक्ष ने नकार दिया है। इसी बीच सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कुछ बोलने की अनुमति मांगी। उन्होंने कहा कि सदन में तीसरे सप्ताह भी गतिरोध खत्म नहीं हुआ है, लेकिन सरकार ने इसको खत्म करने के लिए विपक्ष से बातचीत तक नहीं की। इस पर सत्ता पक्ष से यह कहा गया कि सरकार हर मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए तैयार है, लेकिन कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दल खुद इससे भाग रहे हैं। इस बीच विपक्ष के सदस्य अध्यक्ष के आसन के समीप हंगामा करते हुए पहुंच चुके थे। 

पीठासीन अधिकारी ने हंगामे के बीच ही आवश्यक दस्तावेज सदन पटल पर रखवाए। दस्तावेज रखवाने के बाद पीठासीन अधिकारी ने विधायी कार्य की घोषणा की और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कराधान विधि संशोधन विधेयक 2021 पर चर्चा करने और उसे पारित करने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य भारतीय परिसम्पत्तियों के परोक्ष हस्तांतरण पर कर लगाने के लिए 2012 के पूर्व प्रभावी कानून के तहत की गई कर मांगों को वापस लेना है। वित्त मंत्री ने सदन में कहा कि विधेयक में भारतीय कर अधिनियम-1961 और वित्त अधिनियम-2012 में संशोधन का प्रावधान है। विधेयक में उस कर मांग को वापस लेने का प्रावधान है, जो 28 मई 2012 से पहले भारतीय परिसम्पत्तियों के परोक्ष हस्तांतरण पर की गईं थी।

विधेयक में इन मामलों में अदा की गई राशि बिना ब्याज के वापस करने का भी प्रावधान है। इस विधेयक के पारित होने से ब्रिटिश कंपनी केरेन एनर्जी और वोडाफोन ग्रुप के बीच लंबे समय से चले आ रहे कर विवादों का समाधान हो सकेगा। हंगामे के बीच ही यह विधेयक बिना चर्चा के पारित हो गया। उसके बाद शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तुरंत केंद्रीय विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2021 को चर्चा और पारित करने के लिए सदन के समक्ष प्रस्ताव रखा, जिस पर सदन की मोहर लग गई। इस प्रकार विपक्ष के हंगामे के बीच 7 मिनट के भीतर दो विधेयक पारित हुए। केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक-2021 लद्दाख में केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित किए जाने से संबंधित है। दोनों विधेयक पारित होने के बाद पीठासीन अधिकारी ने सदन की कार्यवाही सोमवार के लिए स्थगित कर दी।