वाराणसी (काशीवार्ता)। साहित्यिक आध्यात्मिक संस्था भारत भारती परिषद के स्वर्ण जयंती महोत्सव को संबोधित करते हुए गोपाल मंदिर के पीठाधीश्वर गोस्वामी श्याम मनोहर महाराज ने कहा कि मनुष्य जीवन में सबको अपने कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों का पालन करना चाहिए। मनुष्य के परोपकार की भावना और आध्यात्मिक गुण उसे महान बनाते हैं। इससे पृथक जीवन शुष्क व नीरस है। पराड़कर भवन में आयोजित हुए समारोह के दौरान मुख्य अतिथि पत्रकारिता संस्थान के निदेशक ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि सोच परिवर्तन राष्टÑ परिवर्तन का दूसरा नाम है। साहित्य सृजन से ही समाज का निर्माण होता है। पद्मश्री भाष सुपकर ने कर्म को रेखांकित किया तो प्रो. श्रद्धानंद ने जीवन के साहित्यिक व सांस्कृतिक पक्ष की व्याख्या की। इस अवसर पर समाज के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान करने वाले साहित्यकार डा. जितेन्द्र नाथ मिश्र, डा. अजीत सैगल, डा. अनुराग टंडन, बीएचयू के प्रोफेसर डा. माधव जनार्दन रटाटे, दीपक अग्रवाल, वरिष्ठ पत्रकार शशिधर इस्सर, डा. अत्रि भारद्वाज, राधेश्याम कमल समेत तमाम लोगों को अंगवस्त्रम व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर प्रख्यात सितारवादक पं. शिवनाथ मिश्र ने सितारवादन कर कार्यक्रम को ऊंचाइयों पर पहुंचाया। धन्यवाद ज्ञापन दीपक अग्रवाल ने किया।